दाभोलकर-पानसरे हत्या प्रकरण की धीमी जांच पर हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

HC lambast on slow investigation of Dabholkar-Pansare murder case
दाभोलकर-पानसरे हत्या प्रकरण की धीमी जांच पर हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
दाभोलकर-पानसरे हत्या प्रकरण की धीमी जांच पर हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर व गोविंद पानसरे मामले में अब राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बांबे हाईकोर्ट के निशाने में आए गए हैं। दोनों प्रकरणों की धीमी जांच से नाराज हाईकोर्ट ने कहा कि क्या मुख्यमंत्री के पास इन दोनों मामले की जांच का जायजा की समीक्षा का समय नहीं है? अदालत ने पूछा-मुख्यमंत्री इस मामले में क्या कर रहे हैं? मुख्यमंत्री के पास 11 मंत्रीपद हैं, जिसमें गृह विभाग भी शामिल है। फिर भी उनके पास पानसरे व दाभोलकर मामले की जांच का जायजा लेने के लिए समय नहीं है और उनके मातहत काम करने वालों को भी इस प्रकरण की जांच में रुकावटों को दूर करने के लिए वक्त नहीं है। सीबीआई दाभोलकर मामले की जांच कर रही है। जबकि विशेष जांच दल(एसआईटी) को पानसरे प्रकरण की तहकीकात की जिम्मा सौंपा गया है। 

50 लाख हुई इनामी राशि 
इससे पहले सीआईडी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदरगी ने कहा कि इस मामले की तहकीकात के लिए अधिकारियों की संख्या दोगुनी कर दी गई है। 35 पुलिस अधिकारियों को जांच में लगाया गया है। हाल ही में उच्चपदस्थ अधिकारी ने एक बैठक में मामले की जांच का जायजा लिया है। इसके अलावा मामले में फरार आरोपियों की जानकारी देने वालों के लिए घोषित दस लाख रुपए की ईनाम की राशि बढ़ाकर 50 लाख कर दी गई है। इस जानकारी से असंतुष्ट जस्टिस एससी धर्माधिकारी व जस्टिस बीपी कुलाबावाला की बेंच ने कहा कि मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सीआईडी व सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी, जिसके परिणाम स्वरुप जांच के लिए अधिकारियों की संख्या बढ़ाई गई है। जांच एजेंसी फरार आरोपियों को खोजने के लिए सिर्फ नागरिकों की जानकारी पर निर्भर नहीं रह सकती। आपको क्या लगता है कि लोग पैसे के लिए आरोपियों की जानकारी देने के लिए आगे आएंगे।

संभवत: जिनके पास आरोपियों का पता होगा वे खमोश रहने के लिए सरकार की ईनामी राशि से ज्यादा कमा रहे होंगे। यह बेहद शर्मनाक है कि लगभग हर मामले की जांच न्यायिक हस्तक्षेप के बाद आगे बढ़ती है। बेंच ने कहा कि कर्नाटक पुलिस ने गौरी लंकेश हत्याकांड के बाद तत्परता दिखाई, लेकिन यहां की पुलिस चुपचाप बैठी रही। लोकतंत्र में हर किसी को अभिव्यक्ति का अधिकार है। किसी भी अपराध को अंजाम देने वाले इस बात का ध्यान रखे की हिंसा से सिर्फ हिंसा पैदा होती है। इस दौरान सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि सीबीआई ने दाभोलकर मामले की जांच पूरी हो चुकी है और आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र भी दायर किया जा चुका है।

सीबीआई फिलहाल मामले को लेकर और अतिरिक्त जानकारी जुटा रही है। हाईकोर्ट ने फिलहाल मामले की सुनवाई 26 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है। गौरतलब है कि अगस्त 2013 में पुणे में दाभोलकर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जबकि साल 2016 में कोल्हापुर में पानसरे को गोली मारी गई थी जिससे उनकी मौत हो गई थी। 

Created On :   28 March 2019 12:27 PM GMT

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