पर्यावरण से जुड़ी याचिका पर कागज रहित वातावरण में सुनवाई करना चाहता है हाईकोर्ट 

High Court wants to hear the petition related to environment in a paperless environment
पर्यावरण से जुड़ी याचिका पर कागज रहित वातावरण में सुनवाई करना चाहता है हाईकोर्ट 
वन विभाग से मांगा जवाब पर्यावरण से जुड़ी याचिका पर कागज रहित वातावरण में सुनवाई करना चाहता है हाईकोर्ट 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने पर्यावरण की रक्षा से जुड़ी जनहित याचिका पर कागज रहित वातावरण में सुनवाई शुरु करने की इच्छा जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि हम प्रस्तावित करते हैं कि इस मामले से जुड़ी याचिका में जहां तक संभव हो कागज रहित परिवेश में सुनवाई हो। अधिवक्ता चाहे तो कागज का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन हम कागज का उपयोग नहीं करेंगे। याचिका में मुख्य रुप से जंगल व आर्द्रभूमि (वेटलैंड) की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे को उठाया गया है। यह याचिका वनशक्ति पब्लिक ट्रस्ट व अन्य ने दायर की है। न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई से पहले खंडपीठ ने कहा कि हम इस याचिका पर कागज मुक्त वातावरण में सुनवाई चाहते हैं। अधिवक्ता चाहे तो सुनवाई के दौरान कागज का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन हम कागज का उपयोग नहीं करेंगे। खंडपीठ ने कहा कि इस याचिका में सिर्फ मुंबई व नई मुंबई की आर्द्रभूमि व मैंग्रोव सुरक्षा के मुद्दे को नहीं उठाया गया है बल्कि पूरे महाराष्ट्र की बात की गई है। इसलिए हम इस मामले में सिडको से नहीं राज्य सरकार व महाराष्ट्र कोस्टल जोन मैनेजमेंट प्राधिकरण (एमसीजेडएमए) से जवाब चाहते हैं। इस तरह खंडपीठ ने राज्य सरकार व एमसीजेडएमए को इस याचिका पर 30 सितंबर तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने कहा कि हलफनामे में राज्य सरकार टाइमलाइन बताए कि याचिका में की गई मांग को कब तक पूरा किया जाएगा। खंडपीठ ने राज्य सरकार के राजस्व व वन विभाग को इस मामले में हलफनामा दायर करने को कहा है। 

याचिका में आर्द्रभूमि जिसका आकार 2.25 हेक्टर से कम हो, तटीय आर्द्रभूमि व धान के खेत के अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि की पहचान कर संक्षिप्त दस्तावेज तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में मौजूदा संक्षिप्त दस्तावेजों, आर्द्रभूमि की सीमा व उसके प्रभाव क्षेत्र को प्रदर्शित करने वाले डिजिटल मानचित्र को  सटीक रूप से अपडेट करने की भी मांग की गई है। इस संबंध में अधिसूचना जारी करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है। याचिका में आर्द्रभूमि व मैंग्रोव के विषय में अदालत की ओर से जारी आदेशों को लागू करने के लिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों की सूची भी पेश करने का निर्देश देने की मांग की गई है। ताकि इन अधिकारियों के खिलाफ उचित निर्देश जारी किए जा सके। इस बीच खंडपीठ ने हाईकोर्ट के प्रशासन (रजिस्ट्री) को सुनिश्चित करने को कहा है कि याचिका के साथ दायर अंतरिम आवेदन की सुनवाई के लिए आनलाईन व ई-फाइलिंग की व्यवस्था हो। खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई 10 अक्टूबर को रखी है। 


 

Created On :   4 Sept 2022 3:00 PM IST

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