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रजिस्टर्ड वसीयत का आधार लेकर राजस्व अधिकारियों ने कैसे आदेशित किया नामांतरण
डिजिटल डेस्क जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पूछा है कि रजिस्टर्ड वसीयत का आधार लेकर राजस्व अधिकारियों ने नामांतरण का आदेश कैसे कर दिया। जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने इस मामले में राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव, एडीशनल कमिश्नर नर्मदापुरम संभाग, एसडीओ राजस्व, तहसीलदार और मोहम्मद अशरफ को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है। मामले पर अगली सुनवाई 13 जून को होगी।
होशंगाबाद निवासी नीति भट्टाचार्य की ओर से अधिवक्ता डॉ. रश्मि पाठक ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया िक याचिकाकर्ता के कुटुंब की संयुक्त खाते की लगभग पचास एकड़ कृषि भूमि होशंगाबाद जिले के ग्राम रोहाना में स्थित है। इस जमीन पर उसका भाई आनन्द चौधरी कब्जा कर वर्षों से कृषि कार्य कर रहा है। इस बीच वर्ष 2019 में मोहम्मद अशरफ नामक व्यक्ति ने तहसीलदार होशंगाबाद के समक्ष एक रजिस्टर्ड वसीयतनामा प्रस्तुत किया, जिसे याचिकाकर्ता की बुआ प्रभा देवी का होना बताया गया। इसके आधार पर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) होशंगाबाद ने तहसीलदार के आदेश के विरुद्ध जाते हुए मोहम्मद अशरफ का नाम संबंधित कृषि भूमि में सह खातेदार के रूप मे दर्ज करने का आदेश पारित कर दिया। इसे अतिरिक्त कमिश्नर होशंगाबाद ने भी अपील में सही करार दिया। राजस्व अधिकारियों के उपरोक्त आदेशों से व्यथित होकर हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित विभिन्न नजीरों का हवाला देते हुए तर्क दिया गया कि रजिस्टर्ड वसीयत के आधार पर स्वत्व का निर्धारण एवं तदोपरांत नामांतरण आदेश पारित करने की अधिकारिता केवल सिविल न्यायालय को है। इस तरह राजस्व अधिकारियों द्वारा विधि विरुद्ध एवं अधिकारिता विहीन नामांतरण आदेश पारित किया गया है।
Created On :   5 April 2022 10:04 PM IST