बरगी डैम: नर्मदा नदी पर बसा मध्यप्रदेश का गौरवमयी जलस्रोत

नर्मदा नदी पर बसा मध्यप्रदेश का गौरवमयी जलस्रोत
  • सिंचाई, बिजली, पर्यावरण और पर्यटन — बरगी डैम ने जबलपुर को दी नई पहचान
  • बरगी डैम, जबलपुर: नर्मदा पर निर्मित एक बहुपयोगी जल संरचना की संपूर्ण जानकारी

Jabalpur News: बरगी डैम जबलपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी पर बना एक बड़ा और महत्वपूर्ण बांध है। इसका विचार 1960 के दशक में नर्मदा घाटी विकास परियोजना के हिस्से के रूप में सामने आया था, जिसका उद्देश्य जल का संग्रहण कर खेती के लिए सिंचाई, पेयजल की आपूर्ति, बिजली उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण को सुनिश्चित करना था।

इसकी निर्माण प्रक्रिया 1974 में शुरू हुई और 1990 में पूरी तरह कार्यान्वित की गई। यह नर्मदा नदी पर बना पहला प्रमुख बहुउद्देशीय डैम है, जिसे मध्यप्रदेश जल संसाधन विभाग और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने मिलकर बनाया।

यह डैम कई कार्यों के लिए उपयोगी है—जैसे सिंचाई, बिजली उत्पादन, पीने के पानी की आपूर्ति और बाढ़ नियंत्रण। इससे जबलपुर, मंडला, नरसिंहपुर जैसे कई जिलों की लाखों हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ मिलता है। बरगी डैम के कारण एक विशाल जलाशय भी बना है जो अब एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन गया है।

लोग यहां बोटिंग, क्रूज़ की सवारी और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने आते हैं। हर साल मानसून के समय जब डैम में पानी अधिक भर जाता है, तब इसके गेट खोलकर अतिरिक्त पानी नर्मदा नदी में छोड़ा जाता है, जिससे निचले इलाकों में सावधानी बरती जाती है। बरगी डैम केवल एक जल संरचना नहीं, बल्कि यह इस क्षेत्र के लोगों के लिए जल, ऊर्जा, खेती और रोजगार का प्रमुख स्रोत है।

* बरगी डैम का निर्माण 1974 में शुरू होकर 1990 में पूरा हुआ।

* यह नर्मदा नदी पर बना मध्यप्रदेश का पहला बड़ा बहुप्रयोजन डैम है।

* डैम से बिजली उत्पादन, सिंचाई, पीने के पानी की आपूर्ति और पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।

* वर्तमान में मानसून के चलते डैम के गेट खोलने की प्रक्रिया जारी रहती है।

* आसपास विकसित हुआ पर्यटन क्षेत्र ‘बरगी जलाशय’ अब जल क्रीड़ा और बोटिंग के लिए प्रसिद्ध है।

तकनीकी और भौगोलिक विशेषताएँ

जबलपुर जिले से लगभग 40 किलोमीटर दूर, बरगी नामक स्थान पर स्थित।

नर्मदा नदी

बांध की ऊंचाई: लगभग 70 मीटर

बांध की लंबाई: लगभग 5.4 किलोमीटर

पानी की कुल संग्रहण क्षमता: लगभग 3.90 अरब घन मीटर

पूरा जलाशय क्षेत्रफल: लगभग 267 वर्ग किलोमीटर

पॉवर जेनरेशन: लगभग 90–105 मेगावॉट की विद्युत उत्पादन क्षमता

सिंचाई लाभ: जबलपुर, मंडला, सिवनी और नरसिंहपुर जिलों में लाखों हेक्टेयर भूमि को लाभ

बरगी डैम से दो मुख्य सिंचाई परियोजनाएं संचालित होती हैं:

1. बरगी डाइवर्जन प्रोजेक्ट

2. रानी अवंतीबाई लोधी सागर परियोजना

वर्तमान स्थिति और मॉनसून के दौरान हालात

हर साल मानसून के दौरान बरगी डैम का जलस्तर तेजी से बढ़ता है। जुलाई से सितंबर के बीच जल स्तर प्रबंधन की सबसे बड़ी चुनौती होती है। यदि जलस्तर ऑपरेटिव लेवल (लगभग 422 मीटर) से ऊपर चला जाए, तो गेट खोलकर जल प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है।

2025 के मॉनसून में, जलस्तर 417 मीटर पार कर गया है और लगातार बारिश के चलते डैम के कई गेट खोल दिए गए हैं। यह पानी नर्मदा नदी में प्रवाहित होता है, जिससे जबलपुर के निचले इलाकों में सतर्कता बरती जाती है।

वर्तमान में डैम से हजारों क्यूसैक्स पानी छोड़ा जा रहा है, और नर्मदा के किनारे बसे गांवों में अलर्ट जारी किया गया है।

पर्यटन केंद्र के रूप में बरगी डैम

बरगी डैम केवल एक जल संरचना नहीं, बल्कि अब एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी बन गया है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, शांत जल, और सुरम्य वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करता है।

पर्यटन विभाग द्वारा यहां बोटिंग, क्रूज़ सेवा, वाटर स्पोर्ट्स और रिसॉर्ट्स की सुविधा दी गई है। बोटिंग का अनुभव सूरज ढलते समय नर्मदा नदी में अद्भुत प्रतीत होता है।

आकर्षण:

* क्रूज बोटिंग

* जल क्रीड़ा

* व्यू पॉइंट्स

* प्राकृतिक फोटोग्राफी के लिए आदर्श स्थान

* वन्यजीवों का अवलोकन (पास ही जंगल क्षेत्र)

सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव

बरगी डैम से जहां एक ओर ऊर्जा और जल की आपूर्ति होती है, वहीं दूसरी ओर इसने आसपास के कई गांवों को विस्थापित भी किया है। सैकड़ों परिवारों को पुनर्वास कार्यक्रमों के तहत नई जगह बसाया गया।

पर्यावरणविद् मानते हैं, कि जलाशय ने स्थानीय पारिस्थितिकी को प्रभावित किया है, लेकिन इससे बने वेटलैंड्स और पक्षी–प्रव्रजन क्षेत्रों ने एक नया पारिस्थितिक संतुलन भी निर्मित किया है।

बरगी डैम जबलपुर की जीवनरेखा है। यह आधुनिक तकनीक और पारंपरिक जरूरतों का समन्वय है। वर्षा जल का सदुपयोग, बाढ़ नियंत्रण, बिजली उत्पादन, कृषि सिंचाई, और पर्यटन—ये सब इसे बहुप्रयोजन बांध बनाते हैं।

आज जब जल संकट, पर्यावरणीय असंतुलन और ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ रही है, ऐसे समय में बरगी डैम जैसे प्रोजेक्ट न केवल तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतीक हैं, बल्कि सामाजिक‑आर्थिक विकास की रीढ़ भी हैं।

सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे इसकी सतत निगरानी रखें, पारिस्थितिकीय प्रभावों पर ध्यान दें, और स्थानीय लोगों को इससे निरंतर लाभान्वित करें।

Created On :   31 July 2025 6:24 PM IST

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