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Jabalpur News: कक्षा सातवीं की छात्रा के बगल में गिरा छत का प्लास्टर, कई कमरों में टपक रहा पानी

- गढ़ा के सेंट्रल स्कूल का मामला, किराए के भवन में चल रहा स्कूल, घटना से दहशत में छात्र
- गढ़ा सेंट्रल स्कूल का अभी खुद का भवन नहीं बना है।
- संभाग के जिलों में कुल 15 हजार 689 सरकारी स्कूल हैं और इनमें से 639 स्कूलों के भवन जर्जर हो चुके हैं।
Jabalpur News: जिस तरह लगातार बरसात हो रही है उसी प्रकार जर्जर स्कूलों की दीवारें, प्लास्टर आदि के गिरने का सिलसिला भी जारी है। बीते दिन गढ़ा के सेंट्रल स्कूल में कक्षा सातवीं की एक छात्रा के ठीक बगल में छत का प्लास्टर गिर पड़ा। बच्ची आज भी दहशत में है। शिक्षा विभाग आंकड़ों की बाजीगरी में जुटा है। इसके अलावा उसने कुछ नहीं किया।
ऐसा लगता है कि शिक्षा के कर्णधार राजस्थान के भीलवाड़ा जैसी किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षा विभाग इस बात पर जरूर वाह वाही लूट रहा है कि जर्जर भवनों में अब कक्षाएं नहीं लगाने का निर्णय लिया गया है, लेकिन जो स्कूल जर्जर होते हुए भी जर्जर की लिस्ट से बाहर हैं उनका क्या होगा।
बताया जाता है कि गढ़ा सेंट्रल स्कूल का अभी खुद का भवन नहीं बना है। स्कूल के नाम पर बरगी हिल्स के पास जमीन आवंटित हो गई है, लेकिन भवन बनने में न जाने कितना वक्त लगेगा। बताया जाता है कि स्कूल में कक्षा सातवीं में पढ़ने वाली एक छात्रा विगत दिवस पढ़ाई में जुटी थी, तभी छत के प्लास्टर का एक बड़ा हिस्सा ठीक उसके बगल में आकर गिरा।
छात्रा बाल-बाल बच तो गई लेकिन उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई है और उसने ऐसी घटना पहली बार देखी है जिससे वह अभी भी बोलने में डर रही है। बोलने में तो वे शिक्षक भी डर रहे हैं जो खुद भी उन्हीं भवनों में समय बिताते हैं जहां बच्चे पढ़ते हैं। घटना यदि बच्चों के साथ हो रही है तो शिक्षक भी बचे नहीं रह सकते लेकिन वे कुछ नहीं कहते।
यहां के कुछ शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्कूल, रानी दुर्गावती शासकीय स्कूल के भवन में लग रहा है, जो कि किराए पर है। कई कक्षों में लगातार पानी टपकता रहता है, जिससे बच्चों को अब बैठने की जगह भी नहीं मिल पा रही है। कुर्सी और टेबल एक के ऊपर एक करके रख दी गई हैं, ताकि ये बारिश में खराब न हों।
निरीक्षण, चर्चा और हिदायतें
पिछले दिनों घमापुर के शासकीय प्राथमिक बालक शाला नम्बर-1 अचानक ही चर्चा में आया था। इस स्कूल के कक्ष लगातार जर्जर होते जा रहे हैं और मरम्मत के नाम पर कुछ नहीं किया जा रहा है। इस स्कूल के संबंध में जब दैनिक भास्कर में विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की गई तो शिक्षा विभाग के आला से लेकर अदने अधिकारी भी रुचि दिखाने लगे। कोई निरीक्षण पर पहुंचा तो किसी ने चर्चा की। कुछ ने हिदायतें दीं लेकिन अभी तक मरम्मत के संबंध में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
संभाग में कुल 639 जर्जर स्कूल
संभाग के जिलों में कुल 15 हजार 689 सरकारी स्कूल हैं और इनमें से 639 स्कूलों के भवन जर्जर हो चुके हैं। संभाग में सबसे अधिक जर्जर भवन सिवनी में 180 हैं। वहीं बालाघाट में 97, छिंदवाड़ा में 86, डिंडोरी में 0, मंडला में 0, जबलपुर में 103, कटनी में 98 और नरसिंहपुर में 75 भवनों को जर्जर घोषित किया जा चुका है।
कटनी और मंडला में शिक्षा विभाग के मॉडल स्कूल बस हैं और वे सभी नए बने हुए हैं। बाकी भवन ट्रायबल विभाग के हैं जिनकी जानकारी इसमें शामिल नहीं है। शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक अरुण कुमार इंगले का कहना है कि सभी जर्जर स्कूलों को खाली कराया जा चुका है और वहां शाला का संचालन नहीं हो रहा है। जरूरत के अनुसार स्कूलों का संचालन पंचायत भवन, आंगनबाड़ी या अन्य सरकारी भवनों में लगाए जाने के निर्देश हैं।
Created On :   31 July 2025 2:56 PM IST