Jabalpur News: राजधानी के लिए संस्कारधानी थी कभी पहली पसंद

राजधानी के लिए संस्कारधानी थी कभी पहली पसंद
मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस आज "कसक' आज भी महसूस करते हैं जबलपुरवासी

Jabalpur News: आज प्रदेश का स्थापना दिवस है। हर बार की तरह इस मौके पर जबलपुर को आज भी कहीं न कहीं मलाल रहता है, लोगों को वह बात आज भी चुभती है, जब जबलपुर राजधानी बनने ही जा रहा था लेकिन ऐन मौके पर जबलपुर शहर राजनीति का शिकार हो गया और राजधानी बनते-बनते चूक गया। जैसे ही भोपाल को राजधानी बनाने की घोषणा हुई, वैसे ही जबलपुर में सन्नाटा पसर गया। राजधानी बनने के बाद एक तरफ भोपाल में जहां पटाखे फूट रहे थे, वहीं जबलपुर में सन्नाटा था।

स्थापना दिवस के कुछ दिन बाद दीपावली भी आई लेकिन लोगों ने दीपावली तक नहीं मनाई। हालांकि जबलपुर में इस दौरान विधानसभा भवन के लिए जमीन भी जुटा ली गई थी और इमारत भी बनकर लगभग तैयार हो चुकी थी लेकिन सभी बातें और बिल्डिंग इतिहास के पन्नों तक ही सीमित रह गई। 1956 के पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र का नागपुर सहित कुछ हिस्सा एक प्रदेश हुआ करता था, साल 1956 में राज्य के पुनर्गठन की मांग उठी। बाकायदा कमेटी भी बनाई गई, जिन्होंने पूरी पृष्ठभूमि तैयार की। नागपुर महाराष्ट्र के हिस्से में जाना तय था, हालांकि मध्य भारत का ऑफिस नागपुर ही हुआ करता था, लेकिन मध्य प्रदेश, जिसमें छत्तीसगढ़ भी पहले शामिल था, इस राज्य की राजधानी जबलपुर बनाने की बात सामने आई थी।

जबलपुर शहर दौड़ में था सबसे आगे, फिर

जब राजधानी बनाने की बात आई, तब कई शहरों ने दावेदारी की, चूंकि नागपुर के नजदीक जबलपुर शहर था। लोगों को पूरी उम्मीद थी कि अब मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी जबलपुर को ही बनाया जाएगा। जबलपुर नर्मदा किनारे बसा बड़ा शहर था, अंग्रेजों का गढ़ रहा था, डिफेंस की फैक्ट्रियां थीं, बड़ी-बड़ी बिल्डिंग थीं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भी जबलपुर की सेंट्रल जेल में बंद किया गया था। आजादी के पहले टाउन हॉल में झंडा भी यहीं फहराया गया था। इतना ही नहीं, हाईकोर्ट भी था। जबलपुर की दावेदारी काफी मजबूत थी लेकिन सब कुछ होने के बाद भी जबलपुर की उम्मीद पर पानी फिर गया।

सरकार ने किया डैमेज कंट्रोल

भोपाल को राजधानी बनाए जाने के बाद जबलपुर के लोगों में काफी गुस्सा था, जिसका नजारा तब दीपावली पर भी देखने को मिला था। दीपावली तक नहीं मनाई गई। हालांकि यह गुस्सा शांत कैसे हो, इस डैमेज को कंट्रोल करने का सरकार ने भरपूर प्रयास किया और काफी हद तक सरकार सफल भी रही। आचार्य विनोबा भावे ने जबलपुर शहर को संस्कारधानी का नाम दिया। इतना ही नहीं, शहर को न्यायधानी नाम भी दिया गया। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से सारे लीगल काम होने शुरू हो गए। जबलपुर के गोलबाजार में मौजूद शहीद स्मारक भवन को विधानसभा का भवन बनाया जाना था, जिसे लगभग तैयार भी कर लिया गया था।

Created On :   1 Nov 2025 2:20 PM IST

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