प्लान मंजूर हुए बगैर पेट्रोल पंप का निर्माण, मनपा की कार्रवाई सही

HPCL reprimanded - construction of petrol pump without plan approved, municipal action is correct
प्लान मंजूर हुए बगैर पेट्रोल पंप का निर्माण, मनपा की कार्रवाई सही
एचपीसीएल को फटकार प्लान मंजूर हुए बगैर पेट्रोल पंप का निर्माण, मनपा की कार्रवाई सही

डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमि (एचपीसीएल) को सक्करदरा में निर्माण प्लान मंजूर किए बगैर पेट्रोल पंप बनाने का जिम्मेदार माना है। साथ ही हाईकोर्ट ने नागपुर महानगरपालिका की उस कार्रवाई को भी सहीं माना है, जिसमें इस पेट्रोल पंप को सील किया गया था। हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में एचपीसीएल की कार्यप्रणाली पर तीव्र नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि केंद्रीय स्तर की यह संस्था बगैर सभी नियमों का पालन किए पंप संचालित कर रही है, यह सोचना भी मुश्किल है। इस मामले में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता व पंप के संचालक विनोद भलावे के लिए 6 माह के भीतर पर्यायी व्यवस्था करने के आदेश एचपीसीएल को दिए हैं। साथ ही सक्करदरा के पेट्रोल पंप के निर्माण को नियमित करने के लिए मनपा के पास अर्जी देने की भी स्वतंत्रता प्रदान की है। हाईकोर्ट ने अपना यह आदेश 4 सप्ताह के बाद लागू किया है।

दरअसल राज्य सरकार की आरक्षण नीति के तहत याचिकाकर्ता का चयन पेट्रोल पंप संचालन के लिए हुआ था। एचपीसीएल ने सक्करदरा के प्लॉट नंबर 35 और 36 को पेट्रोल पंप संचालित करने के लिए चुना। यह भूखंड संजय महाकालकर द्वारा लीज पर लिया गया था। वर्ष 2003 में पेट्रोल पंप निर्माण का कार्य पूरा हुआ, लेकिन दूसरी ओर मनपा ने इसका प्रस्तावित प्लान खारिज कर दिया। कारण दिया कि रिहायशी भूखंड पर व्यावसायिक निर्माण किया गया है। साथ ही नासुप्र की एनओसी भी नहीं ली गई है। इसके बाद एचपीसीएल ने दोबारा निर्माण प्लान मनपा को प्रस्तुत किया। लेकिन इस भूखंड की लीज डीड या सेल डीड कंपनी के नाम पर न होने के कारण दोबारा प्लान खारिज कर दिया गया। इसी बीच कंपनी ने वर्ष 2009 में याचिकाकर्ता को पंप संचालन के लिए दे दिया। इसके खिलाफ महाकालकर ने दीवानी न्यायालय में मुकदमा कर दिया। इसके बाद कई वर्षों तक अदालत में मुकदमा चलता रहा। याचिकाकर्ता को आखिर पंप संचालन के अधिकार मिले, तो मनपा ने अवैध निर्माणकार्य होने के नाम पर पंप सील कर दिया। ऐसे में उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली।

मनपा के वकील जैमिनी कासट ने कोर्ट में दलील दी कि निर्माण प्लान खारिज किए जाने के बाद भी एचपीसीएल याचिकाकर्ता के जरिए पंप संचालित करती रही। ऐसे में कोई विकल्प नहीं बचा और मनपा ने अतिक्रमण का नोटिस देकर पंप सील कर दिया। मनपा इस निर्माण को पूरी तरह गिराने की तैयारी में थी, लेकिन यहां रखे पेट्रोल-डीजल से बड़ा हादसा हो सकता था, इसलिए निर्माण गिराने की कार्रवाई न करके इसे सील करने तक सीमित रखा गया।

वहीं एचपीसीएल ने भी कोर्ट में दलील दी कि मनपा ने उन्हें या फिर याचिकाकर्ता को बगैर कोई नोटिस दिए पंप सील किया है। मामले में नासुप्र ने भी स्पष्ट कर दिया कि यह रिहायशी भूखंड होने के कारण इस पर व्यावसायिक गतिविधि की अनुमति नहीं थी। मामले में सभी पक्षों को सुनकर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।

 

Created On :   30 Jan 2023 7:05 PM IST

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