Shahdol News: सीमा निर्धारण के लिए 7 माह में एक भी बैठक नहीं

सीमा निर्धारण के लिए 7 माह में एक भी बैठक नहीं
  • प्रशासनिक इकाइयों की सीमा दिसम्बन में होगी फ्रीज, निर्धारण के लिए 6 माह का ही समय
  • परिसीमन आयोग संभाग को जिलों की सीमा का अध्ययन कर जरूरी बदलाव की सिफारिश करेगा।
  • शहडोल जिले की सीमा के मामले में तो सीमा का निर्धारण बहुत जरूरी है।

Shahdol News: भारत की जनगणना के लिए केंद्र से सभी राज्यों को प्रशासनिक इकाइयों की सीमा 31 दिसंबर तक फ्रीज करने के निर्देश हैं। इधर, मध्यप्रदेश में जिला व संभाग सीमा निर्धारण के लिए वर्ष 2024 के अक्टूबर माह में गठित परिसीमन आयोग की बैठक 7 माह में नहीं हुई। शहडोल जिले की वर्तमान सीमा को देखते हुए यहां सीमा का पुनर्निर्धारण जरूरी है।

इसके बाद भी प्रक्रिया की रफ्तार धीमी है। मध्यप्रदेश में प्रशासनिक सीमा निर्धारण के लिए परिसीमन आयोग का गठन अक्टूबर माह में हुआ। आयोग के सदस्य ग्वालियर के पूर्व कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह का कहना है कि शहडोल में एक बैठक होनी है पर तारीख तय नहीं है। इस संबंध में शहडोल कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने फोन पर बात नहीं हो सकी।

सीएम ने कहा था दूर होगी जनता की कठिनाईयां- प्रशासनिक सुधार के लिए परिसीमन आयोग गठन की घोषणा करते हुए 9 सितंबर 2024 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि सीमा निर्धारण से जनता की कठिनाईयां दूर होगी। उस समय मुख्यमंत्री ने भी माना था कि जिलों की संख्या बढ़ गई लेकिन उनकी सीमाओं के कारण लोगों को व्यवहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। परिसीमन आयोग संभाग को जिलों की सीमा का अध्ययन कर जरूरी बदलाव की सिफारिश करेगा।

इसलिए जरूरी है जिले की सीमाएं तय होना

>> कलेक्टर कार्यालय से एक किलोमीटर बाद ही उमरिया जिले की सीमा बूढ़ी माई मंदिर के समीप मुडऩा नदी से प्रारंभ हो जाती है।

>> अमलाई के समीप अनूपपुर जिले की सीमा को लेकर स्थिति यह है कि बरगवां नगर परिषद में शराब दुकान के पीछे आबादी के बीच सडक़ ही जिले की सीमा बन गई है। यहां सडक़ के एक ओर शहडोल तो दूसरी ओर अनूपपुर जिले की सीमा है।

>> अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ विकासखंड के 8 गांव (बड़ी तुम्मी, डमनिया, खरसौल, गिजरी, बिजौरा, अमोदा, पड़मनिया व कुई) की अनूपपुर जिला मुख्यालय से दूरी 150 किलोमीटर है जबकि शहडोल की दूरी महज 25 किलोमीटर। इन गांव के रहवासी शहडोल जिला मुख्यालय पार कर बुढ़ार, अमलाई होते हुए अनूपपुर पहुंचते हैं। आदिवासी बहुल इन गांव के लोग लंबे अरसे से मांग कर रहे हैं कि उनके गांव को शहडोल में शामिल कर दिया जाए।

>> शहडोल से चार किलोमीटर दूर अमिलिहा के ग्रामीणों को जिला मुख्यालय में काम पड़ा तो उनके लिए जिला मुख्यालय उमरिया 70 किलोमीटर से ज्यादा दूर है। इस गांव के साथ ही आसपास गांव के लोग शहडोल में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।

>> शहडोल से मानपुर मार्ग पर बिजौरी गांव तक जुड़ाव शहडोल शहर से है। यहां के लोग लंबे समय से अपने गांव को शहडोल जिले में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।

सीमा में बदलाव जरुरी

शहडोल जिले की सीमा के मामले में तो सीमा का निर्धारण बहुत जरूरी है। इसके लिए बैठक बुलाकर जरूरी प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। कलेक्टर शहडोल से चर्चा भी की गई। यहां एक किलोमीटर में उमरिया जिले की सीमा प्रारंभ होने की बात हो या बकहो-बकही गांव में शहडोल-अनूपपुर जिले की सीमा की बात। लोगों की समस्या को समझते हुए सीमा का निर्धारण आवश्यक है। इसके लिए प्रशासन को जरूरी प्रक्रिया समय रहते अपनाई जानी चाहिए।

- मनीषा सिंह विधायक

चर्चा तक सीमित प्रयास ठीक नहीं

हमने अपने विधानसभा के कुछ गांव को लेकर अधिकारियों को जानकारी दी थी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा गठित आयोग के बारे में जानकारी भी है। समस्या यह भी है कि जिले के आला अधिकारियों का ज्यादातर प्रयास चर्चाओं तक सीमित रहता है, जबकि इसलिए विधिवत बैठक बुलाकर जरूरी प्रक्रिया अपनाते हुए प्रस्ताव तैयार करना चाहिए। लोगों की परेशानियों पर गौर करते हुए सीमा का निर्धारण जरूरी है।

- शरद कोल विधायक

Created On :   1 July 2025 6:41 PM IST

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