Shahdol News: ओपीएम में पांच साल में हुए 5 बड़े हादसे, हर बार गई कर्मचारियों की जान, फिर भी नहीं चेता कंपनी प्रबंधन

- अमलाई की ओरिएंंट पेपर मिल में लगातार हो रहे हादसे
- 22 जुलाई को हुए हादसे में इंडस्ट्रियल हेल्थ सेफ्टी ने 4 बड़ी खामियां पाईं गईं
- नहीं चेता कंपनी प्रबंधन
डिजिटल डेस्क, शहडोल। 5 दिन पहले 22 जुलाई को ओपीएम (ओरिएंंट पेपर मिल) में हुए हादसे ने एक बार फिर अमलाई स्थित 60 साल पुरानी कागज और उस पर आधारित उत्पाद बनाने वाली कंपनी को चर्चा में ला दिया है। चर्चा है, यहां हर साल होने वाले हादसों और हादसों से सबक न लेने के कंपनी प्रबंधन के रवैये को लेकर। ओपीएम अमलाई में बीते पांच साल में 5 बड़े हादसे हुए हैं और हर हादसे में कर्मचारियों को जान गंवानी पड़ी है। प्रशासनिक स्तर पर हुई पड़ताल में कंपनी प्रबंधन द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी, मशीनों के रख-रखाव व संचालन में कोताही की बात सामने आई ।
22 जुलाई को हुए ताजा हादसे में शिफ्ट इंचार्र्ज मनीष सिंह का हाथ राइडर मशीन में फंसकर अलग हो गया था। इलाज के दौरान 24 जुलाई की सुबह उनकी जबलपुर में मौत हो गई थी। इसी दिन हादसे की जांच के लिए इंडस्ट्रियल हेल्थ एण्ड सेफ्टी (जबलपुर) के अस्टिेंड डायरेक्टर धर्मेंद्र चौबे ने ओपीएम पहुंच कर जांच की तो यूनिट संचालन में चार बड़ी खामियां उन्होंने पकड़ीं। ओपीएम में हो रहे हादसों व कंपनी प्रबंधन द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी के सवाल पर ओपीएम के सीनियर मैनेजर रवि शर्मा ने कहा कि इंडस्ट्रियल हेल्थ एण्ड सेफ्टी (जबलपुर) के अस्टिेंड डायरेक्टर ने जांच की है। हमने जांच में पूरा सहयोग किया है। जांच की रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है। रिपोर्ट मिलने के बाद देखेंगे क्या किया जा सकता है।
प्रारंभिक जांच में ये खामियां आईं सामने
अस्टिेंड डायरेक्टर इंडस्ट्रियल हेल्थ एण्ड सेफ्टी ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि जिस राइडर मशीन पर शिफ्ट इंचार्ज काम कर रहा था, उसमें ‘ऑटो कट’ नहीं था। गार्ड और फेंसिंग की व्यवस्था सही नहीं होने के साथ मैथड ऑफ वर्क भी अच्छा नहीं पाया गया। स्टेबलिशमेंट भी सही तरीके से नहीं है। श्री चौबे ने ‘दैनिक भास्कर’को बताया कि जांच रिपोर्ट संचालक को भेज दी है। चार दिन बाद जांच के लिए टीम दोबारा ओपीएम जाएगी। ताजा हादसे में कंपनी प्रबंध्धन की एक यह बड़ी चूक भी सामने आई है कि, मृतक मनीष सिंह ओपीएम में बतौर शिफ्ट इंचार्ज काम करते थे। उनका दायित्व कर्मचारियों की मॉनीटरिंग का था, लेकिन ओपीएम प्रबंधक ने उन्हें टिशू पेपर की गुणवत्ता जांचने भेज दिया।
उदाहरण बता रहे क्यों है ओपीएम हादसों की इकाई
- 8 जून 2020 की दोपहर डेढ़ बजे काम के दौरान मशीन की चपेट में आने से ऑपरेटर राकेश मिश्रा (42) की मौत हो गई। हादसा इतना गंभीर था कि राकेश का शरीर मशीन में ही चिपट गया।
- 4 अक्टूबर 2022 को कलर लेकर प्लांट में उपर चढ़ रहे ठेका मजदूर भगवानदीन गोड़ की मौत हो गई। यह घटना प्लांट के अंदर स्टॉक प्रेपरेशन में हुई थी।
- 16 जनवरी 2023 लगभग दो सौ फीट उंची चिमनी में तुड़ाई का कार्य कर रहे ठेका मजदूर बउर मुसलमान की मौत हो गई। घटना के बाद ओपीएम प्रबंधन ने हादसे को छिपाने का प्रयास किया। जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित किया।
- 9 अगस्त 2023 की सुबह 10 बजे पल्प टॉवर टैंक फटने से रविंद्रपति त्रिपाठी की मौत के बाद परिजनों ने ओपीएम गेट के सामने एंबुलेंस पर शव रखकर प्रदर्शन किया। साढ़े 3 घंटे से ज्यादा समय तक चले प्रदर्शन में एसडीएम की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ। तत्कॉलीन कलेक्टर वंदना वैद्य ने हादसे की जांच के निर्देश संचालक औद्योगिक सुरक्षा रीवा को दिए थे। जांच रिपोर्ट अब तक प्रशासन को नहीं मिली।
- 22 जुलाई 2025 को टिशू पेपर को प्रेस करने के लिए लगाए गए राइडर मशीन में मनीष सिंह का हाथ फंस गया। मशीन हाथ को खींचता रहा और टकराने से सिर व नाक में चोट आई। 24 जुलाई की सुबह जबलपुर स्थित निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।
Created On :   26 July 2025 10:01 PM IST