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25 साल पहले पत्नी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा पति बरी

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। अपनी पत्नी की 25 साल पहले रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत के आरोप में उम्रकैद की सजा पाए आरोपी पति को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। जस्टिस एसके गंगेले और जस्टिस अंजुली पालो की युगलपीठ ने कहा है कि निचली अदालत ने आखिरी बार देखे जाने की थ्योरी के आधार पर आरोपी को सजा सुनाई थी, लेकिन गवाहों के बयानों से आरोपी की घटना स्थल पर मौजूदगी साबित ही नहीं होती। ऐसे में आरोपी को दी गई सजा अनुचित होने के कारण खारिज की जाती है।
यह अपील जबलपुर में रहने वाले विजय काछी की ओर से वर्ष 1994 में दायर की गई थी। आरोपी हरियाणा में काम के सिलसिले में गया हुआ था। इसी बीच मंती बाई के आरोपित तौर पर अवैध संबंध अपने ही ससुर प्यारेलाल से हो गए थे। अभियोजन के अनुसार आरोपी की पत्नी मंती बाई की 18 व 19 जून 1993 की दरमियानी रात को रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उस दौरान वह अपने परिवार के साथ घर पर ही था। विजय को अपनी ही पत्नी की हत्या के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया और फिर कोर्ट में चालान पेश किया था। इस मामले में विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष ने आरोपी पर लगे आरोपों को साबित कराने दस गवाहों के परीक्षण कराए, लेकिन सभी के सभी आरोपी पक्ष विरोधी घोषित हो गए।
इसके बाद निचली अदालत ने 16 दिसम्बर 1994 को आखिरी बार देखे जाने के आधार पर आरोपी को पत्नी की हत्या का दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसी फैसले के खिलाफ यह अपील दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने आरोपी की ओर से पैरवी के लिए अधिवक्ता सीमा पाण्डेय की नियुक्ति अदालत मित्र के रूप में की थी। पूरे मामले पर गौर करने के बाद अदालत ने पाया कि आरोपी के घर में मंती बाई की मौत अस्वाभाविक थी। घटना स्थल पर आरोपी की मौजूदगी साबित हुए बिना उसको दी गई सजा अनुचित है।
Created On :   29 April 2018 5:31 PM IST