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पति को मंहगा पड़ा फेसबुक पर नई बुलेट का प्रदर्शन, हाईकोर्ट ने सुनाई 6 माह की सजा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सोशल मीडिया फेसबुक पर अपनी मोटी कमाई व नई बुलेट गाडी का प्रदर्शन करना एक पति को काफी मंहगा पड़ा है। दो मंजिला बंगले में आरामदायक जीवन बीताने वाले पति को अब 6 महीने जेल में बीताने पड़ सकते हैं। मामला पत्नी व अपने दो नाबालिग बच्चों को अदालत के निर्देश के बावजूद गुजाराभत्ता के भुगतान न करने से जुड़ा है। बांबे हाईकोर्ट ने पति को इस मामले में दोषी ठहराते हुए 6 महीने की जेल की सजा सुनाई है। अब यदि पति मामले से जुड़े आदेश का पालन नहीं किया तो उसे जेल जाना पड़ सकता है।
हाईकोर्ट ने 19 जुलाई 2018 को पति को अपनी पत्नी, दो नाबालिग बच्चों व घर के किराए के साथ 43 हजार रुपए गुजाराभत्ता देने का निर्देश दिया था। यहीं नहीं पति ने कोर्ट को लिखित आश्वासन दिया था कि वह गुजाराभत्ते की बकाया रकम दो किश्त में दो लाख रुपए का भुगतान करेगा। लेकिन पति ने जब अदालत के इस निर्देश व अपने लिखित आश्वसन का पालन नहीं किया तो पत्नी ने हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना की याचिका दायर की।
न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी व न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान पत्नी ने खंडपीठ के सामने पति की ओर से अपने नई जिम से हुई मोटी कमाई की जानकारी फेसबुक पर साझा करने की जानकारी दी। पति ने अपनी नई बुलेट मोटरसायकिल खरीदने की जानकारी भी फेसबुक पर पोस्ट की है। पत्नी ने खंडपीठ के सामने इस फेसबुक पोस्ट की प्रति पेश की। यहीं नहीं पत्नी ने दावा किया कि उसके पति के पास आय के दूसरे साधन भी हैं और वह पुणे में दो मंजिला आलिशान बंगले में रहता है। इस याचिका के जवाब में पति के वकील ने दावा किया कि उनके मुवक्किल ने अपने जिम से जुड़े कारोबार को बढावा देने व अधिक से अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए फेसबुक पर कमाई से जुड़ी जानकारी डाली थी। वास्तव में उसकी आय से जुड़ी जानकारी सही नहीं है। मेरे मुवक्किल जिम ट्रेनर हैं। उनकी मासिक आय महज 15 हजार रुपए है। इतनी रकम में उसे अपनी व अपने मां बाप की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ती है। उसकी माली हालत ठीक नहीं है। इसलिए वह अदालत के आदेश का पालन नहीं कर पा रहा। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हमारे मन में कोई संदेह नहीं है कि पति ने जानबूझकर अदालत के आदेश का उल्लंघन किया है। वह अच्छा जीवन बीता रहा है। जबकि पत्नी को बेसहारा छोड़ दिया गया है। यह कहते हुए खंडपीठ ने पति को अदालत की अवमानना के लिए दोषी ठहराया और 6 महीने के कारावास की सजा सुनाई। खंडपीठ के इस आदेश के बाद पति ने कहा कि वह इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना चाहता है। इसके साथ ही वह पत्नी को एक लाख रुपए भी देने को तैयार है। इसलिए अदालत के इस आदेश पर तुरंत अमल रोका जाए। इसके बाद खंडपीठ ने अपने आदेश को तीन सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दिया। लिहाजा इस अवधि तक इस आदेश पर अमल नहीं होगा।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।