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Mumbai News: बालिग युवती अपनी इच्छा के मुताबिक रहने के लिए स्वतंत्र

- युवती को अकेले रहने की इजाजत मिली
- बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर हाई कोर्ट का आदेश
Mumbai News बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक युवती को लेकर अपने अहम फैसले में कहा कि बालिग युवती अपनी इच्छा के मुताबिक नौकरी करने और परिजनों के बिना रहने के लिए स्वतंत्र है। अदालत ने पुणे पुलिस द्वारा बिहार से परिवार द्वारा बंधक बनाई गई युवती को छोड़ने का निर्देश दिया। युवती की सहेली ने हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कार्पस) याचिका दायर कर दावा किया गया कि युवती को उसके परिवार द्वारा बिहार में बंधक बनाकर रखा गया है और उसकी जबरदस्ती शादी करने की कोशिश की जा रही है। न्यायमूर्ति डॉ. नीला गोखले और न्यायमूर्ति फिरदोश पूनीवाला की पीठ के समक्ष 24 वर्षीय युवती की सहेली की बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कार्पस) याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में अदालत से युवती को व्यक्तिगत रूप से पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
युवती ने व्हाट्सएप पर दी जानकारी : याचिकाकर्ता के वकील ज्ञानेश पाटिल दलील दी कि युवती पुणे में एक रियल एस्टेट फर्म में काम कर रही थी। उसके परिवार ने इस साल अप्रैल में उसे बिहार में पारिवारिक समारोह में हिस्सा लेने के लिए बुलाया। उसके माता-पिता बिना उसकी इच्छा के शादी करना चाहते थे। उसने शादी करने से इनकार कर दिया और पुणे आने के लिए कहा, तो उसके माता-पिता उसने आने देने से मना कर दिया और घर में जबरदस्ती रखा।
उसने 1 मई को अपने दोस्तों के व्हाट्सएप ग्रुप पर एक संदेश भेजा, जिसमें कहा गया कि उसे उसके माता-पिता द्वारा उसकी इच्छा के खिलाफ शादी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उसके साथ कुछ भी हो सकता है। युवती ने अपने दोस्त को यह भी बताया कि उसने समस्तीपुर में स्थानीय उजियारपुर पुलिस से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने उसकी मदद नहीं की। इसके बाद उसने अपने दोस्तों से इस बारे में कुछ करने का आग्रह किया।
Created On :   5 Jun 2025 2:45 PM IST