- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- विभाग के बजट से तीन गुना ज्यादा...
Mumbai News: विभाग के बजट से तीन गुना ज्यादा निकाल दिया वर्क आर्डर

- पिछली सरकार के मंत्रियों के कामकाज से मौजूदा मिनिस्टर परेशान
- सैकड़ों करोड़ के कार्यादेशों का वितरण
Mumbai News महायुति सरकार के कुछ मंत्री अपने विभाग के पूर्व मंत्रियों के कामकाज से परेशान हो रहे हैं। पिछली महायुति सरकार में मंत्री रहे नेता जी सरकार का कार्यकाल समाप्त होते-होते अपने विभाग के बजट से कई गुना निधि के कार्य के लिए कार्यादेश (वर्क आर्डर) जारी कर डाला है। इसलिए अब इन विभागों के मौजूदा मंत्रियों के लिए न निधि बची है और न कोई कार्य। सूत्रों के अनुसार उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री ने भी इस मामले में हाथ खड़े कर दिए हैं।
पिछली महायुति सरकार में विधानसभा चुनाव से पहले कई मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों के अंतर्गत बड़ी संख्या में कार्यों को मंज़ूरी दे दी थी, जिससे ठेकेदारों और संबंधित लोगों के चेहरे खिल गए थे। चूंकि विभाग के बजट प्रावधान से तीन गुना ज़्यादा राशि के कार्य स्वीकृत किए गए थे, इसलिए ये कार्य अभी भी अटके हुए हैं और इन विभागों में नए मंत्रियों के आने से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि पिछले कार्यादेशों को लागू किया जाए या नए कार्यादेश जारी किए जाएं।
मंत्री रहते अक्सर विवादों में रहने वाले शिवसेना (शिंदे) नेता के विभाग में शहरी क्षेत्रों के विकास के लिए 133 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रावधान था, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए भी 133 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान था। कुल 266 करोड़ रुपये का ही वित्तीय प्रावधान होने के बावजूद तत्कालिन मंत्री ने 650 करोड़ रुपये के कार्यों को मंजूरी दे दी। उक्त कार्यों के लिए शासनादेश भी जारी कर दिए गए। हालांकि, सरकारी खजाने में संबंधित विभाग के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान न होने के कारण ये काम अटके हुए हैं। पूर्व सरकार के मंत्री ने पहले ही विभाग के बजट से अधिक कार्यों को मंजूरी दे दी है। ऐसे में 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद फिर से महायुति सरकार बनने के बाद इस विभाग का कार्यभार संभालने वाले नए मंत्री धन की कमी के कारण नए कार्यों को मंजूरी नहीं दे पा रहे हैं।
राज्य सरकार के एक मंत्री कार्यालय के अधिकारी ने बताया कि अब समझ में नहीं आ रहा है कि इस विभाग के मौजूदा मंत्री करें तो क्या करें। सूत्रों के अनुसार जब उन्होंने इस बारे में राज्य के वित्त मंत्री और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से संपर्क किया, तो उन्होंने भी पिछली सरकार के मंत्री के कामताज को लेकर केवल गुस्सा और निराशा व्यक्त की। सांगली में ठेकेदार हर्षल पाटिल की आत्महत्या के बाद ये मामले सामने आ रहे हैं। इससे पता चलता है कि सरकार कार्य कर रहे ठेकेदारों के बिलों के भुगतान में देरी क्यों हो रही है और उन्हें समय पर पैसा क्यों नहीं मिल रहा है।
Created On :   25 July 2025 7:31 PM IST