सिंचाई घोटाला: एसीबी खुद कर रहे हैं जांच, सरकार ने HC को समिति गठित करने से रोका

In irrigation scam, ACB is investigating itself, no need to form committee : State Government
सिंचाई घोटाला: एसीबी खुद कर रहे हैं जांच, सरकार ने HC को समिति गठित करने से रोका
सिंचाई घोटाला: एसीबी खुद कर रहे हैं जांच, सरकार ने HC को समिति गठित करने से रोका

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर बेंच में सिंचाई घोटाले पर केंद्रित जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। बीती सुनवाई में कोर्ट ने सरकार की जांच पर नाराजगी जताई थी और इसपर नजर रखने के लिए दो सेवानिवृत्त जजों की समिति गठित करने की तैयारी की थी। कोर्ट के आदेश के मुताबिक याचिकाकर्ता ने कोर्ट को सेवानिवृत्त जज जेएन पटेल और आरसी चौहान का नाम समिति के लिए सुझाया। साथ ही उनकी समिति की कार्यप्रणाली कैसी होनी चाहिए यह भी कोर्ट को बताया। दूसरी तरफ राज्य सरकार ने कोर्ट से यह समिति गठित नहीं करने की विनती की।

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि सिंचाई घोटाले की जांच प्रक्रिया में राज्य के पुलिस महासंचालक (एसीबी) खुद नजर रख रहे हैं, ऐसे में यह समिति गठित करने की जरूरत नहीं है। सरकार ने कोर्ट से स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा। 

रिपाेर्ट आने तक इंतजार करें
याचिकाकर्ता ने इसका विरोध किया और कोर्ट को बताया कि इस मामले में सरकार जो कुछ भी कार्रवाई कर रही है, केवल कोर्ट के आदेश के बाद ही कर रही है। स्वयं सरकार ने अपनी ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। मामले में मुख्य सरकारी अधिवक्ता सुमंत देवपुजारी ने कोर्ट से गुजारिश करते हुए कहा कि कोर्ट पहले सरकार की स्टेटस रिपोर्ट आने तक इंतजार करे। अगर उससे संतुष्ट न हो, तो सेवानिवृत्त जजों की समिति स्थापित करने का विचार किया जाए। ऐसे में कोर्ट ने सरकार को एक सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। 

दर्ज हुए अपराध
आर्थिक अपराध शाखा अमरावती विभाग ने हाईकोर्ट में शपथपत्र दायर किया है। इस शपथपत्र में कहा गया है कि पुलिस को याचिकाकर्ता द्वारा 12 दिसंबर 2017 को रायगढ़ सिंचाई प्रकल्प, चांदुर रेलवे और वाघाडी सिंचाई प्रकल्प दर्यापुर प्रकल्प में भ्रष्टाचार की शिकायत मिली थी। इसके बाद 13 दिसंबर से आर्थिक अपराध शाखा ने अपनी जांच शुरू की। जांच में प्रथम दृष्ट्या सामने आया कि प्रकल्पों के कामकाज के लिए जारी टेंडर प्रक्रिया में भारी अनियमितता हुई है।

प्रतिवादी क्रमांक 6 बाजोरिया कंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमि. और प्रतिवादी क्रमांक 8 संदीप बाजोरिया ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे रायगढ़ प्रकल्प 25.50 प्रतिशत और वाघाडी प्रकल्प 17.92 प्रतिशत की अतिरिक्त कीमतों पर प्राप्त किया, लेकिन वास्तव में उनकी कंपनी टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेने की लिए पात्र ही नहीं थी। पुलिस की जांच में पता चला कि यवतमाल प्रोजेक्ट डिवीजन का कार्यकारी अभियंता इस भ्रष्टाचार में शामिल है। पुलिस ने उसके खिलाफ भी भादवि 119, 120-ब, 197, 198, 199, 200, 420, 468 व 471 के तहत मामला दर्ज किया है।

Created On :   13 July 2018 5:47 AM GMT

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