महाराष्ट्र के बीड में दामाद जी को गधे पर बिठा लगाया जाता है रंग - 86 साल पुरानी परंपरा आज भी कायम
डिजिटल डेस्क, बीड, सुनिल चौरे। होली में हंसी-मजाक वाली परंपराएं होती हैं। खास बात है कि केज तहसील के विडा येवता गांव में सालों से अनूठी परंपरा कायम है। गांव में होली के दिन दामाद को गधे पर बिठा रंग लगाने की रस्म पूरी की जाती है। यह परंपरा 86 साल से बादस्तूर जारी है। वैसे बहुत लोग ऐसे भी हैं, जो होली में रंग से बचते नजर आते हैं। रंग छुड़ाने में पसीने छूट जाते हैं। बहुत से लोग रंग लगवाने से बचते हैंं, कहीं भी छिप जाते हैं या खुद को कमरे में बंद कर लेते हैं। जबरदस्ती रंग लगाने के चक्कर में झगड़े भी होते हैं, उस वक्त 'बुरा न मानो होली है' की कहावत भी काम नहीं आती, लेकिन इस गांव में ऐसा कुछ नहीं होता
इसके पीछे की कहानी भी बड़ी ही मजेदार है। कुछ साल पहले जब ठाकुर आनंद देशमुख परिवार के एक दामाद ने होली में रंग लगवाने से मना कर दिया था। तब उनके ससुर ने उन्हें रंग लगाने के लिए मनाने की कोशिश की थी। फूलों से सजा हुआ गधा मंगवाया गया था, जिस पर दामाद को बैठाकर गले में जूते चप्पलों का हार पहना गांव में जुलूस निकाला गया था। इसके बाद दामाद को गधे पर बैठा मंदिर तक लाया गया, जहां आरती उतारी गई। नए कपड़े और सोने की अंगूठी दी गई। मुंह मीठा कराया गया।
तब से हर साल गांव में ऐसा होता आ रहा। हर साल होली से पहले ऐसे दामाद को ढूंढा जाता है, जिनकी नई-नई शादी हुई हो। उनमें नए दामाद के साथ होली की परंपरा निभाई जाती है। कई बार तो गांव के कुछ दामाद इससे बचने के लिए छिपकर भागने की कोशिश करते हैं, लेकिन गांववाले उनपर पूरी नजर रखते हैं, ताकि परंपरा में विध्न न आए।
जिले में गधे की संख्या कम
सरपंच सुरज पटैत के बताया कि सुबह 10 बजे दामाद जी की गधे पर सवारी शुरु होगी। गधे और नए दामाद को ढूंढ़ने में काफी मेहनत लगती है। फिर परंपरा के लिए राजी करना पड़ता है। पिछले तीन सालों के दौरान जिले में गधों की संख्या में कमी आई है। इसलिए गांव की दो टीम गधे ढ़ूंढने रवाना कर दी गई थीं। दामाद जी और गधे का इंतजाम हो चुका है।
मंगलवार को परंपरा पूरे जोश के साथ निभाई जाएगी है। नए दामाद को परंपरागत रूप से तैयार कर लिया गया है, दामादजी गाजे-बाजे के साथ गांव का भ्रमण करने जा रहे हैं।
Created On :   5 March 2023 6:26 PM IST