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आरक्षित वर्ग की महिला उम्मीदवारों को उनके वर्ग की चयन प्रक्रिया में शामिल करो - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क जबलपुर । असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर पीएससी द्वारा किए जाने वाले चयन की प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग की टॉपर महिला उम्मीदवारों को भी शामिल करने के निर्देश मप्र हाईकोर्ट ने दिए हैं। च्वाईस फिलिंग की प्रक्रिया से बाहर की गईं महिला उम्मीदवारों के मामले पर सुनवाई के बाद एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने यह व्यवस्था दी। साथ ही च्वाईस फिलिंग की आखिरी तारीख 17 अक्टूबर होने के मद्देनजर उसे एक सप्ताह के लिए बढ़ाने के आदेश भी पीएससी एवं राज्य सरकार को दिए हैं।मामलों पर अगली सुनवाई नवम्बर माह के तीसरे सप्ताह में होगी।
अजा-जजा उम्मीदवारों को सामान्य वर्ग की सूची में शामिल कर दिया
गौरतलब है कि हाईकोर्ट में ये याचिकाएं महिला उम्मीदवारों ने दायर करके पीएससी द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर की जा रही भर्ती की प्रक्रिया को चुनौती दी है। आवेदकों का कहना है कि वे सभी सामान्य वर्ग की उम्मीदवार हैं, लेकिन पीएससी ने पुनरीक्षित चयन सूची में अजा-जजा और पिछड़ा वर्ग की उन उम्मीदवारों को सामान्य वर्ग की सूची में शामिल कर दिया था, जो अच्छे अंकों के साथ मैरिट में आईं थीं। पीएससी के इस फैसले के कारण सामान्य वर्ग की महिलाएं अपने वर्ग से बाहर होकर वेटिंग लिस्ट में आ गईं और चयन प्रक्रिया से वंचित होने पर ये मामले दायर किए गए। इसी बीच राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने 07 अक्टूबर को एक आदेश जारी करके आरक्षित वर्ग की महिला उम्मीदवारों की चाईस फिलिंग की प्रक्रिया पर रोक लगा दी। इस आदेश के खिलाफ आरक्षित वर्ग की उम्मीदवारों ने हस्तक्षेप अर्जी हाईकोर्ट में दायर कीं। मामलों पर हुईं सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्त मानस वर्मा, सुयश मोहन, ब्रम्हानंद, शैलेष तिवारी, राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता हिमान्शु मिश्रा और हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, अधिवक्ता केसी घिल्डियाल, अमित सेठ, आशीष श्रोती, संजय के अग्रवाल व रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने विगत 18 सितंबर को जारी अंतरिम आदेश में संशोधन करके आरक्षित वर्ग की महिला उम्मीदवारों को च्वाईस फिलिंग की प्रक्रिया में शामिल करने के आदेश दिए।
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