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जनरल नियाजी को 93 हजार सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण कराने वाली भारतीय सेना ने मनाया विजय दिवस

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ संघर्ष भारतीय सेना के साहस की एक ऐसी गाथा है, जो कभी भुलाई नहीं जा सकती। रविवार को 48वे विजय दिवस समारोह में भारतीय सेना के वीर शहीदों को याद किया गया, जिन्होंने इस लड़ाई में जान गंवाई। मेजर जनरल के जे एस गिल, सेना मैडल कार्यवाहक जीओसी मध्य भारत एरिया, ब्रिगेडियर राजेश नेगी स्टेशन कमांडर एवं कमांडेंट जैक राइफल रेजीमेंटल सेंटर के द्वारा गन चौक युद्ध स्मारक में पुष्पांजलि अर्पित की गई।
भारतीय सेना की विजय
ब्रिगेडियर नेगी ने बताया कि यह विजय भारतीय सेना की विजय है। इतना ही नहीं, जितने भी युद्ध या ऑपरेशन्स हुए हैं, सभी में भारतीय सेना ने शानदार प्रदर्शन किया है, जो एक उपलब्धि है। आगे चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि देश के उत्तर पूर्वी राज्यों एवं सियाचिन तथा जम्मू एवं कश्मीर में भारतीय सेना तैनात है और काम को बखूबी अंजाम दे रही है। भारतीय सेना प्राकृतिक आपदाओं में भी अहम भूमिका निभाती रही है। आगे ब्रिगेडियर नेगी ने बताया कि भारतीय सेना अपनी सर्वोतम परम्पराओं को सुचारु रूप से जारी रखते हुए पूरे जोश,उत्साह के साथ अपने काम को अंजाम देती रही है।
ऐसा है इतिहास
सन 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष और विजय का दिन बांग्लादेश की आजादी के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष आयोजित होता है। सन 1971 में भारत एवं पाकिस्तान के बीच संघर्ष हुआ, अंत में पाकिस्तान को पराजय का मुँह देखना पड़ा और बांग्लादेश बना। आज के दिन सन् 1971 में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल आमिर अब्दुल खान नियाजी ने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना एवं मुक्ति वाहिनी के प्रमुख जनरल जगजीत सिंह अरोरा के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इस दौरान भारतीय सेना ने सराहनीय कार्य किया। भारतीय सेना की पैदल सेना ने अदम्य साहस एवं उत्तम युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तानी सेना के प्रयास को नाकाम कर दिया। पाकिस्तानी सेना को मुंह की खानी पड़ी।
Created On :   16 Dec 2018 9:09 PM IST