पोषण आहार से दाल गायब: चावल, बटाना, मोठ से चलाया जा रहा काम 

Lent pulse are disappeared from the nutrition diet of students
पोषण आहार से दाल गायब: चावल, बटाना, मोठ से चलाया जा रहा काम 
पोषण आहार से दाल गायब: चावल, बटाना, मोठ से चलाया जा रहा काम 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शालेय पोषण आहार योजना सरकारी तथा अनुदानित स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए चलाई जाती है। पिछले वर्ष पोषण आहार में तुअर दाल को शामिल किया गया। इस वर्ष के मेन्यू में संशोधन कर सप्ताह में 3 दिन दाल-चावल देने का नियोजन किया गया, लेकिन मार्केटिंग फेडरेशन से दाल आपूर्ति नहीं किए जाने से नियोजन धरा का धरा रह गया। डेढ़ महीने से अधिकांश स्कूलों में दाल नहीं है। पोषण आहार में चावल, बटाना और मोंठ से काम चलाया जा रहा है। 

केंद्र सरकार के समग्र शिक्षा अभियान अंतर्गत पोषण आहार के लिए प्राथमिक विद्यार्थी के लिए प्रतिदिन 100 ग्राम और उच्च प्राथमिक विद्यार्थी के लिए प्रतिदिन 150 ग्राम चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली से दिया जाता है। मोंठ, बटाना तथा अन्य सामग्री की आपूर्ति कन्जुमर फेडरेशन करता है। किसानों से की गई सरकारी खरीदी की तुअर दाल स्कूलों तक पहुंचाने का करार राज्य सरकार ने दी महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडेशन लिमिटेड के साथ किया है। दिसंबर 2017 से दिसंबर 2018 तक दाल पहुंचाने का ठेका दिया गया है।

साप्ताहिक मेन्यू में संशोधन
दाल की आपूर्ति शुरू किए जाने पर चालू शैक्षणिक वर्ष में पोषण आहार के साप्ताहिक मेन्यू में संशोधन किया गया। नए मेन्यू में सप्ताह में 3 दिन दाल-चावल, 1 दिन बटाना और 2 दिन मोंठ की उसल चावल के साथ देने का नियोजन  किया गया। दिसंबर महीने में जिले की सभी 13 स्कूलों से दाल आपूर्ति करने की मांग की गई थी, परंतु फरवरी महीने में दाल स्कूलों में पहुंचाई गई। चालू शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही दाल की मांग की गई, लेकिन अभी तक किसी भी स्कूल में दाल नहीं पहुंचाई गई है। 

करार किया, पर दाल पहुंचाने की व्यवस्था नहीं की
खास बात यह है कि फेडरेशन ने सरकार से करार तो कर लिया, परंतु दाल स्कूलों तक पहुंचाने की अपनी व्यवस्था नहीं की। दूसरे ट्रांसपोर्टर के साथ करार कर कमिशन एजेंट की भूमिका निभाई जा रही है। जिस ट्रांसपोर्टर के साथ फेडरेशन ने करार किया है, उसे यह काम करने में रूचि नहीं है। उसे ज्यादा रकम नहीं बचने से टालमटोल करने की  जानकारी मिली है। 

कुछ स्कूलों में खराब हो गई दाल
रोज एक समान आहार मिलने से अनेक विद्यार्थी उब गए हैं। कुछ स्कूलों में रख-रखाव ठीक नहीं रहने से दाल खराब होने की खबर है। 

स्थानीय स्तर पर दे दिए खरीदी के अधिकार
शिक्षा विभाग की ओर से फेडरेशन को दाल पहुंचाने के लिए लगातार पत्र व्यवहार किया गया। फिर भी आपूर्ति नहीं की गई है। आखिरकार तहसील स्तर पर गटशिक्षणाधिकारी को दाल खरीदी के अधिकार दे दिए गए। जो स्कूल दाल खरीदी करेंगे, उन्हें खर्च की रकम चुकाई जाएगी। फेडरेशन के बिल से यह रकम काट ली जाएगी।
पंजाबराव तोवर, लेखा अधिकारी, शालेय पोषण आहार विभाग, जिला परिषद

राशन दुकान में 35, स्कूलों को 55 रु. किलो दर 

राज्य में तुअर की बंपर फसल होने से बाजार मूल्य संतुलित रखने सरकार ने किसानों से तुअर खरीदी की। दाल बनाकर इसे सरकारी राशन दुकानों से प्रति किलो 35 रुपए में बेचा जा रहा है, जबकि  वहीं दाल शालेय पोषण आहार के लिए 55 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मार्केटिंग फेडरेशन के माध्यम से स्कूलों को आपूर्ति की जा रही है। इसमें फेडरेशन ट्रांसपोर्ट खर्च के नाम पर प्रति किलो 20 रुपए कमा रहा है। बावजूद स्कूलों में दाल नहीं पहुंचने पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है।

 
 

Created On :   21 Aug 2018 11:23 AM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story