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जमीन के नीचे खनिज का खजाना सरकार का : HC

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी भी जमीन के नीचे अगर खनिज है तो वह जमीन मालिक की नहीं, बल्कि सरकार की होगी। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने अहम फैसले में यह बात कही है।
जबलपुर हाईकोर्ट का कहना है कि जिस किसी की जमीन के नीचे खनिज है, उस खनिज के उत्खनन के लिए जमीन किसी भी लाइसेंसी को दी जा सकती है। इसके लिए जमीन मालिक की सहमति जरूरी नहीं है। इस फैसले के साथ ही चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की बेंच ने जमीन मालिकों की याचिका खारिज कर दी। हालांकि बेंच ने जमीन मालिकों को यह राहत जरूर दी है कि उत्खनन करने से पहले कंपनी 3 महीने के भीतर उन्हें तय मुआवजा दें।
किसने लगाई थी याचिका?
याचिका सतना जिले की मैहर तहसील के बाल्मीक पटेल, रामेश्वर पटेल, सीताराम पटेल और रामसुंदर पटेल की ओर से दायर की गई थी। आवेदकों का कहना था कि मौजा तमोरिया में उनकी जमीनें हैं और वे उन पर काबिज भी थे। बिना याचिकाकर्ताओं की सहमति लिए सतना कलेक्टर ने 27 जून 2014 को उनकी जमीनें एक कंपनी को उत्खनन के लिए लीज पर दे दी। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि जमीन को लेकर निर्धारित कानून का पालन नहीं किया गया और न ही उनको कोई मुआवजा दिया गया। इस बारे में सतना कलेक्टर के आदेश के खिलाफ रीवा के संभागायुक्त के पास अपील दायर की गई, लेकिन वह 4 जून 2015 को खारिज कर दी गई।
याचिकाकर्ताओं ने फिर बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के पास पुनरीक्षण लगाई, लेकिन वह भी 4 नवंबर 2006 को खारिज कर दी गई। इसके बाद यह याचिका दायर करके हाईकोर्ट से राहत चाही गई थी कि निजी कंपनी को उनकी जमीन पर उत्खनन करने से रोकने के निर्देश अनावेदकों को दिए जाएं। मामले पर हुई सुनवाई के दौरान एमपी सरकार की ओर से सरकारी एडवोकेट दीपक अवस्थी और कंपनी की ओर से वरिष्ठ एडवोकेट एमएल जायसवाल और एडवोकेट केके गौतम हाजिर हुए। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने मामले में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।
Created On :   28 July 2017 6:59 PM IST