अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति : महाराष्ट्र छोड़ अन्य राज्यों में जारी करने को मिली हरी झंडी

Minority scholarship: Green signal for release in other states
अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति : महाराष्ट्र छोड़ अन्य राज्यों में जारी करने को मिली हरी झंडी
अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति : महाराष्ट्र छोड़ अन्य राज्यों में जारी करने को मिली हरी झंडी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में मंगलवार को अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति से जुड़े विवाद पर सुनवाई हुई। बीती सुनवाई में हाईकोर्ट ने छात्रवृत्ति के आवंटन पर स्थगनादेश जारी किया था। मंगलवार को कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्थगनादेश सिर्फ महाराष्ट्र प्रदेश के लिए था। हाईकोर्ट ने बीते दिनों संस्था चालकों की एक याचिका पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए प्रदेश अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को दी जाने वाली पोस्ट मैट्रिक (11वीं, 12वीं कक्षा) छात्रवृत्ति के आवंटन पर रोक लगा दी थी। संस्थाओं ने अपनी याचिका में छात्रवृत्ति सीधे विद्यार्थियों के बैंक खातों में डालने का विरोध किया है। इस मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता शाहबाबू एजुकेशन सोसायटी और अन्य अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थाओं की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि राज्य अल्पसंख्यक विभाग ने केंद्रीय अल्पसंख्यक विभाग को लिखे पत्र में स्पष्ट किया गया कि सीधे बैंक खातों में छात्रवृत्ति की राशि डालने की नीति का क्रियान्वयन ठीक से नहीं रहा है। इससे लाभार्थियों की संख्या कम हुई है। ऐसे में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से दो सप्ताह में इस पर स्पष्टीकरण मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से एड.मुकेश समर्थ, एड.अनुप ढोरे ने पक्ष रखा। 

यह है मामला
भारत सरकार के केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा देश भर के अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है। वर्ष 2012 तक इस योजना के तहत विद्यार्थियों की कोर्स फीस स्कूल/कॉलेज के बैंक अकाउंट में आर मेंटेनेंस भत्ता विद्यार्थी के बैंक अकाउंट में भेजी जाती थी, लेकिन राज्य में इस प्रक्रिया की खामियों का फायदा उठा कर कई छात्रवृत्ति घोटाले हुए। कई ऐसे मामले हुए जिसमें शिक्षा संस्थाओं ने फर्जी विद्यार्थी दिखा कर अवैध तरीके से स्कॉलरशिप हजम कर ली। ऐसे में शैक्षणिक सत्र 2014-15 में नीति में बदलाव हुआ और सारी की सारी स्कॉलरशिप विद्यार्थियों के बैंक अकाउंट में भेजी जाने लगी। इसका शिक्षा संस्थाओं ने विरोध किया और उच्च शिक्षा विभाग को ज्ञापन सौंप कर पहले की नीति लागू रखने की मांग की। शिक्षा संस्थाओं का तर्क था कि सरकार की ओर से सीधे तौर पर कोई अनुदान न मिलने से उन्हें कॉलेज चलाना मुश्किल हो रहा है। इसी मुद्दे पर उन्होंने याचिका दायर की है।

Created On :   16 Jan 2019 12:18 PM GMT

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