नगर निगम ने उखड़वाई 38.44 लाख की पीसीसी रोड,पर जिम्मेदार इंजीनियर्स को आंच नहीं  

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
नगर निगम ने उखड़वाई 38.44 लाख की पीसीसी रोड,पर जिम्मेदार इंजीनियर्स को आंच नहीं  

डिजिटल डेस्क सतना। पहले बनाओ, फिर तोड़ो और फिर बनाओ... नगर निगम के इसी गोरखधंधे का यहां एक और बड़ा नमूना सामने आया है। आरोप है कि शहर के अंदर नेशनल हाइवे  के समानांतर सर्किट हाउस से सवेरा होटल तक लगभग 600 मीटर पर महज 10 माह पुरानी तकरीबन 38 लाख 44 हजार की पीसीसी रोड जांच में गुणवत्ता विहीन पाए जाने पर उखड़वा कर फेंक दी गई। इस सख्ती से संबंधित ठेकेदार को तो चोट पड़ी है,लेकिन इस रोड निर्माण के लिए जिम्मेदार नगर निगम के इंजीनियरों को आंच तक नहीं है। जबकि क्वालिटी कंट्रोल का जिम्मा साइट इंजीनियर पर भी होता है। अपनों पर रहम का ये अजब-गजब मामला है। 
पहले भी हो चुकी है तकनीकी पड़ताल 
जानकारों के मुताबिक संबंधित ठेकेदार को नोटिस देकर एक माह के अंदर नई सड़क बनाने वर्ना फर्म को ब्लैक लिस्टेड कर देने की चेतावनी दी गई थी। इन्हीं सूत्रों ने बताया कि जांच में किसी काम के गुणवत्ता विहीन पाए जाने पर संबंधित ठेकेदार को वर्क के ग्रेड के मान से पेमेंट किए जाने का प्रावधान है। मगर, इस काम के एवज में फूटी कौड़ी का भी भुगतान नहीं होने के कारण आनन- फानन में सड़क को उखाड़ कर फेंक देने का फरमान सुना दिया गया। शहर में नगर निगम के अधीन ये इकलौता सड़क निर्माण कार्य है, जिसकी एक जांच पूरी हो जाने के बाद भी नए सिरे से दूसरी तकनीकी जांच कराई गई। अगर, वास्तव में निर्माण इस हद तक घटिया था तो फिर जिम्मेदार इंजीनियरों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही क्यों नहीं की गई है? 
 80 करोड़ की 20 सड़कें भी कम घटिया नहीं 
जानकारों के दावे के मुताबिक गुणवत्ता विहीन पाए जाने पर 38.44 लाख की जिस सड़क को उखाड़ कर फेंका गया है। उसके बाद शहर में लगभग 80 करोड़ की ऐसी 20 पीसीसी सड़कें बनाई गईं । तकनीकी जानकारों की राय में इनमें से कई बेहद घटिया होने के बाद भी उनके भुगतान पहले की किए जा चुके हैं। ऐसे किसी भी निर्माण की दो तो दूर एक भी जांच कराए जाने की जांच नहीं हुई है। क्या, ऐसी उन अनेक सड़कों की गुणवत्ता की जांच होगी? जिनके भुगतान पहले ही हो चुके हैं। क्या,जांच में गुणवत्ता विहीन पाए जाने वाली सड़कों को भी यंू उखड़वा कर फेंक दिया जाएगा? 
16.80 करोड़ के नालों पर एक नजर 
लगभग 16 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन शहर का सबसे बड़ा खेरमाई नाला हो या फिर 80 लाख से निर्मित सिविल लाइन क्षेत्र का नाला...या फिर फ्लाईओवर के दोनों ओर बनाए गए नाले...इन सभी के घटिया निर्माण का दंश बारिश में पूरा शहर भोग चुका है,मगर बावजूद इसके नगर निगम के जिम्मेदारों की नजर कभी भी इन बड़े नालों के घटिया निर्माण पर नहीं पड़ी है। क्या, जांच के बाद इन नालों को भी यूं ही उखाड़ फेंकने के साहसिक कदम की भी नजीर पेश की जाएगी?   
 

Created On :   14 Oct 2019 9:37 AM GMT

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