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सेल्फ डिफेंस में हत्या अपराध नहीं, फिर पुलिस ने बिना जाँच किए वकील को क्यों भेज दिया जेल ?
जिला अधिवक्ता संघ और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने उठाए सवाल
डिजिटल डेस्क जबलपुर । सेल्फ डिफेंस में की गई हत्या अपराध नहीं है, इसके बावजूद गोरखपुर पुलिस ने बिना जाँच किए हत्या का प्रकरण दर्ज कर वकील विनोद मिश्रा को जेल भेज दिया है। इस पर जिला अधिवक्ता संघ और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने सवाल खड़े किए हैं।
सेल्फ डिफेंस में ये है प्रावधान - आईपीसी की धारा 96 में प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं और दूसरों की जान और संपत्ति की सुरक्षा का अधिकार है। ऐसा करते समय यदि कोई मानव वध भी हो जाता है तो वह हत्या की श्रेणी में नहीं आएगा।
सेल्फ डिफेंस के संबंध में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई न्याय दृष्टांत मौजूद हैं।
पहले जाँच, फिर होनी थी गिरफ्तारी - वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे का कहना है कि यदि सेल्फ डिफेंस में हत्या होती है तो ऐसे मामलों में पुलिस को तत्काल गिरफ्तारी नहीं करनी चाहिए। पहले प्रकरण दर्ज कर जाँच करना चाहिए, सेल्फ डिफेंस का मामला पाए जाने पर क्लोजर रिपोर्ट न्यायालय में दाखिल करना चाहिए।
हमले की आशंका पर भी लागू होता है सेल्फ डिफेंस - वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति को हमले की आशंका भी हो तो वह सेल्फ डिफेंस में हत्या कर सकता है। इसके बाद भी पुलिस ने अधिवक्ता के खिलाफ बिना जाँच के हत्या का प्रकरण दर्ज कर लिया।
जाँच से बच रही पुलिस - जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने कहा है कि अधिवक्ता विनोद मिश्रा का मामला सेल्फ डिफेंस का है। पुलिस को मामले की जाँच कर क्लोजर रिपोर्ट दायर करना चाहिए।
अब आगे क्या होगा - पुलिस इस मामले में अधिवक्ता विनोद मिश्रा के खिलाफ अदालत में हत्या का आरोप-पत्र पेश करेगी। अधिवक्ता को अदालत में यह साबित करना होगा कि यह मामला सेल्फ डिफेंस का है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में एक से दो साल तक का समय लग सकता है।
Created On :   15 Oct 2020 8:32 AM GMT