लैब रिपोर्ट में टाइपिंग गलती के चलते नाईजीरियाई नागरिक को 20 महीने तक काटनी पड़ी जेल, कितना मुआवजा देगी सरकार

Nigerian citizen had to spend 20 months in jail due to typing mistake in lab report
लैब रिपोर्ट में टाइपिंग गलती के चलते नाईजीरियाई नागरिक को 20 महीने तक काटनी पड़ी जेल, कितना मुआवजा देगी सरकार
हाईकोर्ट लैब रिपोर्ट में टाइपिंग गलती के चलते नाईजीरियाई नागरिक को 20 महीने तक काटनी पड़ी जेल, कितना मुआवजा देगी सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य प्राधिकरण से जुड़े अधिकारी भले कानून व्यवस्था के प्रभारी होते हैं, लेकिन उनसे जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। क्योंकि नागरिक की स्वतंत्रता सर्वोपरी होती है और यह लोकतंत्र का आधार होता है। बांबे हाईकोर्ट ने कालीना (मुंबई) की फोरेंसिक लैब की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में टाइपिंग की गलती के चलते साल 2020 से जेल में बंद एक नाइजीरियाई नागरिक को जमानत प्रदान करते हुए उपरोक्त बात कही है। अदालत ने पीड़ित को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है।  

आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने एक नाईजीरियन नागरिक नोवाफॉर सैमुअल को किसी शख्स को मादक पदार्थ पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसके पास से बरामद मादक पदार्थ को जांच के लिए कालीना के फोरेंसिक लैब में भेजा था। लैब ने पहले रिपोर्ट में आरोपी के पास से मिले पदार्थ को मादक पदार्थ बताया लेकिन बाद में अपनी रिपोर्ट में सुधार कर कहा कि उसने जो रिपोर्ट भेजी है उसमें टाइपिंग की गलती हो गई है। आरोपी के पास जो सामग्री मिली है वह कोकिन या अन्य मादक पदार्थ नहीं है। तब तक निचली अदालत से आरोपी की जमानत खारिज हो चुकी थी।    

न्यायमूर्ति भारती डागरे के सामने नाइजीरियन नागरिक के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि इस मामले में कोई मामूली टाइपिंग की त्रुटी नहीं है। यह एक बड़ी गलती है। इसकी वजह से आरोपी को बिना किसी अपराध को कई महीने जेल में बिताने पड़े हैं। एक नागरिक के लिए उसकी स्वतंत्रता सर्वोपरी होती है फिर चाहे वह नागरिक इस आरोपी की तरह विदेशी ही क्यों न हो। न्यायमूर्ति ने कहा कि राज्य के अधिकारी भले खुद को श्रेष्ठ समझते हैं। स्वयं को कानून-व्यवस्था का प्रभारी मानते हैं, इस लिए उनसे जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। मामलों के तथ्यों से स्पष्ट है कि इस मामले में आरोपी को बेवजह जेल में रहना पड़ा लिहाजा हम राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से जानना चाहते हैं कि वे इस मामले में आरोपी को कैसे मुआवजा प्रदान करेंगे। यदि वे इस मामले में खुद सामने से कुछ नहीं कहेंगे तो कोर्ट को मुआवजे की रकम तय करनी पड़ेगी। न्यायमूर्ति ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई रखी है। 
 

Created On :   11 Aug 2022 8:59 PM IST

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