Mumbai News: एयरटेल को बड़ी राहत, विजया बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक को जमानत, वृद्ध दंपति को अंतरिम संरक्षण

एयरटेल को बड़ी राहत, विजया बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक को जमानत, वृद्ध दंपति को अंतरिम संरक्षण
  • 10 करोड़ से अधिक के बैंक धोखाधड़ी का मामले में विजया बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक (क्रेडिट) दामोदर कामथ को दी जमानत
  • निवेशकों से 2 करोड़ 45 लाख धोखाधड़ी मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से दो नाबालिग बच्चों की देखभाल के लिए आरोपी महिला को मिली जमानत
  • बॉम्बे हाई कोर्ट से वृद्ध दंपति को गिरफ्तारी से मिला तीन सप्ताह का अंतरिम संरक्षण

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट से भारती एयरटेल को बड़ी राहत मिली है अदालत ने चीफ कंट्रोलिंग रेवेन्यू अथॉरिटी (सीसीआरए) और कलेक्टर ऑफ स्टैम्प्स द्वारा पारित उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें टाटा टेलीसर्विसेज (महाराष्ट्र) लिमिटेड (टीटीएमएल) के उपभोक्ता मोबाइल व्यवसाय को एयरटेल में विभाजित करने के संबंध में दूरसंचार प्रमुख पर 7 करोड़ 38 लाख रुपए का स्टाम्प शुल्क लगाया गया था। न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने एयरटेल की याचिका पर कहा कि अधिकारियों ने कानून द्वारा अनिवार्य रूप से जारी किए गए शेयरों के बाजार मूल्य के बजाय अलग की गई इकाई के नेट उद्यम मूल्य के आधार पर स्टाम्प शुल्क की गणना करके बहुत बड़ी गलती की है। पीठ ने कहा कि अधिकारियों द्वारा लेनदेन में जारी किए गए शेयरों के वास्तविक बाजार मूल्य को निर्धारित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। एयरटेल को 7 करोड़ 38 लाख रुपए की जगह अब केवल 1 करोड़ 86 लाख 70 हजार 450 रुपए की स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करना है। पीठ ने स्टाम्प कलेक्टर द्वारा पारित 14 नवंबर 2022 के आदेश के साथ-साथ सीसीआरए द्वारा पारित 2 अगस्त 2024 के आदेश को खारिज दिया। यह विवाद एयरटेल और टीटीएमएल के बीच व्यवस्था की योजना के मूल्यांकन से संबंधित था, जिसे 2018-2019 में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा मंजूरी दी गई थी। एयरटेल ने उपभोक्ता मोबाइल व्यवसाय के बदले टीटीएमएल शेयरधारकों को शेयर जारी किए थे। इसके बाद टीटीएमएल ने योजना को स्टाम्प कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया, जिन्होंने 2022 में टीटीएमएल की 1,055 करोड़ 70 लाख रुपए की संपत्ति के आधार पर स्टाम्प शुल्क 7 करोड़ 38 लाख रुपए निर्धारित किया। एयरटेल के वकील अमित जामसांडेकर ने मूल्यांकन को चुनौती देते हुए दलील दी कि स्टाम्प शुल्क की गणना जारी किए गए शेयरों के वास्तविक बाजार मूल्य के 0.7 फीसदी पर की जानी चाहिए, जो 105 करोड़ 70 लाख रुपए था - जिससे 1 करोड़ 86 लाख रुपए का स्टाम्प शुल्क बनता है। कलेक्टर ने मूल्यांकन रिपोर्ट में दिखाए गए 950 करोड़ रुपए के सकल कर्ज की अनदेखी करते हुए गलती से उद्यम मूल्य को शेयरों के बाजार मूल्य के बराबर मान लिया है। पीठ ने एयरटेल की दलील पर सहमति जताते हुए कहा कि महाराष्ट्र स्टाम्प अधिनियम के अनुच्छेद 25(डीए) में निवल संपत्ति के आधार पर शुल्क की गणना की अनुमति नहीं दी गई है। स्टाम्प कलेक्टर ने घोर गलती की है। अनुच्छेद 25(डीए)(ii) निवल संपत्ति पर स्टाम्प शुल्क लगाने की बात नहीं करता है। अदालत ने राज्य के इस तर्क को खारिज कर दिया कि स्पेक्ट्रम से संबंधित देनदारियों को गलत तरीके से कर्ज के रूप में दिखाया गया था।

10 करोड़ से अधिक के बैंक धोखाधड़ी का मामले में विजया बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक (क्रेडिट) दामोदर कामथ को दी जमानत

इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने 10 करोड़ से अधिक के बैंक धोखाधड़ी के मामले में विजया बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक (क्रेडिट) दामोदर कामथ को जमानत दे दी है। अदालत ने सीबीआई की विशेष अदालत के कामथ के खिलाफ सुनाई गई 5 साल के कारावास और 15 लाख रुपए जुर्माने की सजा निलंबित कर दिया है। अदालत ने माना कि दोषी व्यक्ति के खिलाफ सबूत इतने कमजोर हैं कि सभी संभावनाओं में कार्यवाही उसके पक्ष में होगी। न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष दामोदर कामथ की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील मधुसूदन पारीक ने दलील दी कि याचिकाकर्ता को दोषी ठहराए जाने पर 17 अप्रैल 2025 को हिरासत में लिया गया था। उसके बाद से ही वह हिरासत में है। सीबीआई विशेष अदालत में मामले के लंबित रहने के दौरान वह जमानत पर था। इस दौरान उसने जमानत की शर्तों का पालन किया है और नियमित रूप से अदालत में उपस्थित होता था। यदि उसकी अपील स्वीकार की जाती है और इसके निपटान में कुछ समय लग सकता है। इसलिए अपील के लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ता को हिरासत में रखने से उसे नुकसान होगा। वह अदालत के लगाए गए 15 लाख रुपए के जुर्माने की रकम भरने के लिए तैयार है। उसे अदालत द्वारा उचित समझे जाने वाले नियमों और शर्तों पर जमानत दी जानी चाहिए। सरकारी वकील श्रीराम शिरसाट ने याचिकाकर्ता की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि कहा कि यह एक गंभीर अपराध है। विशेष न्यायाधीश ने पूरे मामले की सामग्री और रिकॉर्ड पर लाए गए साक्ष्य पर विचार करने के बाद याचिकाकर्ता को दोषी ठहराया है। उसकी सजा को निलंबित करने का कोई मामला नहीं बनाया गया है। बीएनएसएस की धारा 430 के तहत शक्तियों का नियमित तरीके से प्रयोग नहीं किया जा सकता है। पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिकाकर्ता को कुछ शर्तों के आधार पर जमानत दे दी। सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) ने 2 फरवरी 2013 को व्यवसायी निखिल पट्ट, विजया बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक (क्रेडिट) दामोदर कामथ और एजेंट सोराज तायडे के साथ चार अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। बैंक ऑफ इंडिया ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपियों ने 10 करोड़ 27 लाख रुपए के चार जाली कर्ज पत्र (एलसी) बनाए थे, जिन्हें कामथ ने जारी किया था।

निवेशकों से 2 करोड़ 45 लाख धोखाधड़ी मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से दो नाबालिग बच्चों की देखभाल के लिए आरोपी महिला को मिली जमानत

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने नासिक में निवेशकों से 2 करोड़ 45 लाख रुपए धोखाधड़ी के मामले में दो नाबालिग बच्चों की परवरिश के लिए आरोपी महिला को जमानत मिली। अदालत ने कहा कि आरोपी महिला की जमानत याचिका पर विचार पूरी तरह से उसके 2 नाबालिग बच्चों की परिस्थितियों और उनकी भलाई को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की अवकाशकालीन पीठ ने नीलम दिवेश नरोदिया की जमानत याचिका पर अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता के दो नाबालिग बच्चे हैं, जिन्हें उनकी मां की देखभाल की आवश्यकता है। इसके अलावा अपराध अहिंसक अपराध है। उसको जमानत दिए जाने की स्थिति में फरार होने की संभावना नहीं है। इसलिए उसे जमानत दी जानी चाहिए। नासिक के अंबड पुलिस स्टेशन में 27 फरवरी 2025 को भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के साथ धारा 406, 420, 465, 467, 468 और 471 के तहत याचिकाकर्ता महिला और उसके पति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक याचिकाकर्ता और उसके पति के साथ दो अन्य सह-आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए कई लोगों से 2 करोड़ 45 लाख रुपए की धोखाधड़ी की। पुलिस ने याचिकाकर्ता को 4 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। उसके बाद से ही वह न्यायिक हिरासत में जेल में बंद है। उसके दो बच्चे हैं, जिनमें एक 8 वर्ष और दूसरा 3 वर्ष का है।

बॉम्बे हाई कोर्ट से वृद्ध दंपति को गिरफ्तारी से मिला तीन सप्ताह का अंतरिम संरक्षण

वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने वृद्ध दंपति को गिरफ्तारी से तीन सप्ताह का अंतरिम संरक्षण दिया है। उनके खिलाफ हरियाणा के अंबाला कैंट पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज है। वे हरियाणा की यात्रा पर जाना चाहते है। न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की अवकाशकालीन पीठ ने 68 वर्षीय राजकुमार शर्मा की ओर से वकील संतोष गुप्ता की दायर जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के वकील संतोष गुप्ता ने दलील दी कि याचिकाकर्ता कथित अपराध में शामिल नहीं हैं। अपराध में आरोप उनके बेटे के खिलाफ हैं। वे महाराष्ट्र में रहते हैं और हरियाणा की यात्रा पर चाहते हैं। उन्हें यात्रा के दौरान हरियाणा के अंबाला कैंट पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले में गिरफ्तार किया जा सकता है। इसलिए याचिकाकर्ताओं को अग्रिम जमानत या अंतरिम संरक्षण दी जाए। सरकारी वकील रश्मि तेंदुलकर तेंदुलकर ने कहा कि उन्हें हरियाणा के अंबाला कैंट पुलिस स्टेशन से याचिकार्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने की सूचना मिली है। यदि वे हरियाणा की यात्रा करना चाहते हैं. तो इस उद्देश्य के लिए सीमित संरक्षण चाहते हैं, तो अदालत इस पर विचार कर सकता है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को 3 सप्ताह की सीमित अवधि के लिए अंतरिम संरक्षण प्रदान किया जाता है, जिससे वे उचित राहत प्राप्त करने के लिए सक्षम न्यायालय से संपर्क कर सकें।

Created On :   3 Jun 2025 8:42 PM IST

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