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सतना के रामलोटन की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की तारीफ -उनकी बगिया में हैं 200 से भी ज्यादा जड़ी-बूटियां
डिजिटल डेस्क सतना। जिले के एक छोटे से गांव अतरवेदिया खुर्द में रहने वाले किसान रामलोटन कुशवाहा की करीब ढाई दशक की मेहनत उस वक्त सफल हो गई जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात में उसका जिक्र छेड़ दिया। 63 साल के रामलोटन की बगिया में विलुप्त हो रहे करीब सवा 2 सौ जड़ी-बूटियों के पौधे उगाए हैं। महज दो एकड़ के काश्तकार रामलोटन इसी डेढ़ एकड़ की बगिया में उगने वाली जड़ी-बूटियों और सब्जियों पर आश्रित हैं, यही उनकी आय का जरिया है। मध्यप्रदेश में रामलोटन "लौकीमैनÓ के नाम से भी जाने जाते हैं क्योंकि वो 25 किस्म की लौकी का उत्पादन करते हैं। घर पर बीज बैंक बनाकर रखा है जहां कई सब्जी और जड़ी-बूटियों के बीजों का संरक्षण है। ये बीज लौकी के खाली कवर के अंदर रखा जाता है, ताकि वो सालों खराब न हों। आज प्रधानमंत्री ने जब रामलोटन से बात की तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा।
विलुप्त औषधीय को बचाने का जुनून
आज की युवा पीढ़ी जिन जड़ी-बूटियों के बारे में जानती भी नहीं होगी वह सतना के एक छोटे से गांव में संरक्षित हो रही हैं। रामलोटन डेढ़ एकड़ के खेत में औषधीय गुणों से भरी जड़ी बूटियों का संरक्षण और संवर्धन कर रहे हैं। साथ में हर साल कई तरह की सब्जियां उगाते हैं। रामलोटन की बगिया में करीब सवा दो सौ औषधीय पौधों का अनूठा कलेक्शन है।
लौकियों के खोल में बीज बैंक
पक्के किंतु बगैर पलस्तर वाले मकान की एक दीवार पर विभिन्न आकार की सूखी लौकियों को देखकर आप भी यकीन नहीं कर पाएंगे कि आखिरकार इनको टांगने का औचित्य क्या है मगर बता दें कि सूखी सब्जियों को दीवार से टांगने के पीछे बीज बैंक मकसद है। रामलोटन बताते हैं कि यदि कड़वी लौकी के सूखे खोल में कोई भी बीज संधारित किया जाए तो वह सालों साल खराब नहीं होता है। लौकियों को उनके आकार के आधार पर नाम दिए गए हैं। अजगर लौकी, बीन वाली लौकी, तंबूरा लौकी आदि इनमें से कुछ खाने के काम आती हैं बाकी लौकियों का औषधीय उपयोग किया जा रहा है। इससे पीलिया, बुखार ठीक किया जाता है।
बगिया में एक से बढ़कर एक औषधियां
रामलोटन की बगिया में सिंदूर, अजवाइन, शक्कर पत्ती, जंगली पालक, जंगली धनिया, जंगली मिर्चा के अलावा सतावर, हाथी पंजा, सामृद्ध, कमरकस लाजवंती, बृजराज, गौमुख बैगन, सुई धागा, हाथी पंजा, अजूबी, बालम खीरा, पिपरमिंट, गरूड़, सोनचट्टा, आंधी, नानिह पत्ती, काली हल्दी, तीखुर, सफेद और काली मूसली, कई रंग के दहिमन और पारस पीपल जैसी तमाम औषधीय गुण के पौधे रोपे गए हैं। उन्होंने देश के कोने-कोने में जाकर इन दुर्लभ पौधों का संग्रह किया है।
इनका कहना है-
हमने जो पुरानी धरोहरों को इक_ा किया है उसे मोदीजी ने याद किया बहुत खुशी हुई। जहां जड़ी-बूटी हो रही थी वहां तो खेत बन गए। हमने सोचा कि जब ये पौधे नष्ट हो रहे हैं तो हर जगह से लाकर अपने पौधे अपनी वाटिका में लगा लिए। आज यहां दो-सवा दो सौ पौधे लगाए हैं। यदि जड़ी-बूटी हमारे घर में है तो किसी को भी जंगल में जाने की जरूरत नहीं है।
रामलोटन कुशवाहा किसान, अतरवेदिया खुर्द
Created On :   28 Jun 2021 2:35 PM IST