कैदियों को वापस जाना होगा जेल - ठुकराई कैदियों की याचिका, परिपत्र पर रोक लगाने से इंकार 

Prisoners will have to go back to jail - plea of prisoners rejected
कैदियों को वापस जाना होगा जेल - ठुकराई कैदियों की याचिका, परिपत्र पर रोक लगाने से इंकार 
हाईकोर्ट कैदियों को वापस जाना होगा जेल - ठुकराई कैदियों की याचिका, परिपत्र पर रोक लगाने से इंकार 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार के उस परिपत्र पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है जिसके तहत उन कैदियों को दोबारा जेल में आने का निर्देश दिया गया था। जिन्हें कोरोना के चलते अंशकालिक जमानत दी गई थी। राज्य सरकार ने इस संबंध में 4 मई को परिपत्र जारी किया था। जिसके खिलाफ 40 कैदियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि राज्य सरकार ने जेल में लौटने को लेकर निर्देश जारी करते समय जेल में क्षमता से अधिक कैदी होने के पहलू पर विचार नहीं किया है। इसके अलावा इस विषय को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अनदेखी की गई है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने जुलाई के आदेश में साफ किया था कि उसके अगले आदेश तक कैदियों को जेल में न बुलाया जाए। 

कैदियों का तर्क, अभी आ सकती है कोरोना की चौथी लहर

याचिका में मांग की गई थी कि कैदियों को जेल में वापस लौटने के लिए 15 दिन नहीं 45 दिन का समय दिया जाए। ताकि कैदी जेल में वापस आने की तैयारी कर सके। याचिका में कहा गया था कि विशेषज्ञों की राय के मुताबिक भारत में जुलाई व सितंबर के मध्य में कोरोना की चौथी लहर आ सकती है। ऐसे में जमीन हकीकत की पड़ताल किए बिना कैदियों को बुलाना उचित नहीं होगा। क्योंकि फिर से जेल में कोरोना का प्रकोप आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। 

मंगलवार को अवकाशकालीन न्यायमूर्ति नीतिन सांब्रे व न्यायमूर्ति अनिल पानसरे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश सामान्य स्थिति की ओर लौट आया है। ऐसे में कोरोना के चलते कैदियों को पैरोल के रुप में दी गई जमानत को वापस न बढाया जाए। इसलिए सरकार के परिपत्र पर रोक न लगाई जाए। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हम सरकार के परिपत्र पर रोक नहीं लगाएंगे। इसके मद्देनजर कैदियों की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने याचिका को वापस ले लिया। 

अभिजीत पवार नामक कैदी सहित कोल्हापुर जेल के अन्य कैदियों ने इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका के मुताबिक व्यक्तिगत रुप से कैदियों को सूचना नहीं दी गई है। इसके साथ ही परिपत्र में चेतावनी दी गई है कि यदि कैदी 15 दिन में जेल नहीं लौटेगे तो उनके खिलाफ मामला दर्ज कर मुकदमा चलाया जाएगा। इससे कैदी परेशान हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने जेल में कैदियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए उनको अंशकालिक जमानत देने का निर्देश दिया था। इसके तहत राज्य सरकार ने बैंक फ्रांड, मनीलांड्रिग,नार्कोटिक्स, संगठित अपराध व आंतक से जुड़े अपराधों के आरोपियों को छोड़कर अन्य आरोपियों को पैरोल पर 45 दिनों तक जेल से छोड़ने का निर्देश दिया था। बाद में इसे 30 दिन तक और बढाया गया था। अब राज्य सरकार ने इन कैदियों को जेल वापस आने का कहा है। 

 

Created On :   17 May 2022 8:39 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story