जुआ नहीं है रमी का खेल, प्लेयर एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका

Rummys game is not gambling, Players Association filed a petition in the High Court
जुआ नहीं है रमी का खेल, प्लेयर एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका
जुआ नहीं है रमी का खेल, प्लेयर एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका

डिजिटल डेस्क, मुंबई। ताश के पत्तों का खेल रमी कौशल का खेल है, इसे जुए की संज्ञा नहीं दी जा सकती है। यह दावा करते हुए कॉम्पटेटिव रमी प्लेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मिलिंद लिमए ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में मुख्य रुप से रमी की प्रतियोगिता के आयोजन के लिए अनुमति न देने वाले राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (अपील व सिक्युरिटी) की ओर से 2 मार्च 2020 को जारी आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका के मुताबिक महाराष्ट्र गैम्बलिंग प्रतिबंधक कानून की धारा 13 के तहत ऐसी प्रतियोगिता व गतिविधि को छूट है। 

राज्य सरकार ने प्रतियोगिता के लिए अनुमति देने से किया है इंकार

याचिका में दावा किया गया है कि रमी कौशल का खेल है लेकिन गृह विभाग के सचिव ने इसे जुआ माना है। यह नियमों व हाईकोर्ट के एक फैसले के  खिलाफ है। इसलिए इस आदेश को रद्द कर दिया जाए और याचिकाकर्ता को रमी की प्रस्तावित  प्रतियोगिता के लिए सक्षम प्राधिकरण को उपयुक्त लाइसेंस जारी करने का निर्देश दिया जाए। इससे सरकार को राजस्व भी मिलेगा। शुरुआत में याचिकाकर्ता ने मुंबई पुलिस आयुक्त के पास आवेदन किया था। लेकिन बाद में इस आवेदन को राज्य के गृह विभाग के पास भेज दिया। गृहविभाग ने याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज कर दिया है। इसलिए उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। 

ऑनलाइन सुनवाई के लिए अत्याधुनिक तकनीक से लैस हो कोर्ट कक्ष

वहीं अदालत के कोर्ट कक्ष को अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया जाए। जिससे प्रभावी तरीके से ऑनलाइन सुनवाई हो सके। ऑनलाईन सुनवाई के लिए अधिक से अधिक न्यायाधीश उपलब्ध कराए जाए। इस तरह की मांग को लेकर एडवोकेट एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव चव्हाण ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि अभी भी सिर्फ जरूरी मामलों की सुनवाई हो रही हैं। जिससे बड़ी संख्या में जमानत आवेदन सुनवाई के लिए प्रलंबित है। जो आरोपियों के अधिकारों का उल्लंघन है। पत्र में सुझाव स्वरुप कहा गया है को यदि अत्याधुनिक तकनीक से लैस कोर्ट कक्ष बनाने में निधि की दिक्कत है तो इस विषय को राज्य सरकार के सामने रखा जाए। इसके साथ ही बार काउंसिल व न्यायपालिका ऑनलाइन सुनवाई से जुड़ी तकनीक को लेकर जागरूकता के कार्यक्रम करें। अदालत आने के लिए कोर्ट कर्मचारियों के लिए विशेष सैनिटाइज वाहनों की व्यवस्था की जाए। 

Created On :   30 July 2020 8:46 PM IST

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