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यूपीएससी एग्जाम की हियरिंग कटेगरी में इंडिया टॉपर बनी सतना की दिव्यांग बेटी श्रेया
कोल इंडिया,न्यूक्लियर पावर और पावर ग्रिड के लिए भी हो चुका है सेलेक्शन
डिजिटल डेस्क सतना। जन्म से ही दिव्यांग श्रेया राय ने महज 25 वर्ष की उम्र में न केवल यूपीएससी (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) की प्रतिष्ठा पूर्ण आईईएस (ऑल इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेस) परीक्षा में न केवल 60वीं रैंक हासिल की,बल्कि अखिल भारतीय स्तर पर श्रेया को हियरिंग कटेगरी में इंडिया टॉप करने का श्रेय भी मिला। मूक-बधिर बेटी की इस कामयाबी से भावुक मां अंशु राय कहती हैं-बच्चों को कभी बेचारा न समझें। बच्चे भले ही लाचार हों उन्हें सपोर्ट दें। स्वयं के पैरों पर खड़ा होने दें। होनहार बेटी के पिता संजय राय बताते हैं- जब वह महज साढ़े 3 साल की थी, आवाज देने वाले खिलौने भी उसे आकर्षित नहीं करते थे। इलाज के लिए मुंबई ले गए तो निराशा हाथ लगी। मासूम न बोल सकती थी न सुन सकती थी। वह प्रेशर हार्न या फिर तेज पटाखों की हाई फ्रीक्वेंसी आवाज को ही महसूस कर सकती थी। संजय कहते हैं, हमने भी ठान लिया, बेटी को नि:शक्त नहीं रहने देंगे। मां अंशु ने बेटी के लिए स्पीच थैरेपी भी सीखी।
दूसरी कोशिश में बड़ी कामयाबी :——
सामान्य बच्चों की तरह चिन्मय मिशन के स्कूल में दाखिला दिलाया गया। नर्सरी से हायर सेकंडरी तक श्रेया ने यहीं हिंदी माध्यम से पढ़ाई पूरी की। मुश्किलों का दौर तब शुरु हुआ जब इलेक्ट्रिकल से बीई करने के लिए श्रेया इंदौर गई। मूक-बधिर बेटी के लिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई पहाड़ जैसी थी, लेकिन श्रेया हार मानने वालों में नहीं थी। पढ़ाई में मददगार उसके दोस्त तो उसके लिए भगवान बन गए। आईएएस आफीसर और श्रेया के मामा शाश्वत राय का मार्ग दर्शन जहां पल-पल उसके साथ था। वहीं मैहर के अमदरा की आईएएस सुरभि गौतम भी उसकी प्रेरणा स्त्रोत थीं।
कड़ी मेहनत,पक्का इरादा: रोज 16 घंटे पढ़ाई :———
ग्रेजुएशन के दौरान ही वर्ष 2019 में श्रेया ने यूपीएससी के लिए पहला चांस लिया। उसने एक और कोशिश वर्ष 2020 में की। रोज 16 घंटे खूब पढ़ाई की। विगत 12 अप्रैल को रिजल्ट आया तो कामयाबी हाथ में थी। वह 3 साल से यूपीएससी के आईईएस एग्जाम की तैयारी कर रही थी। इससे पहले श्रेया का सेलेक्शन कोल इंडिया, न्यूक्लियर पावर कार्पोरेशन और पावर ग्रिड में भी हो चुका है,लेकिन ये श्रेया की मंजिल नहीं थे। शुरु से ही उसकी दिलचस्पी कलेक्टर बनने में थी। मगर, पैरेंट्स की खुशी के लिए उसने ब्यूरोके्रट की जगह टेक्नोक्रेट बनने में ही अपनी खुशी समझी। अब यही उसकी मंजिल है। नेचर और क्लासिकल डांसिंग के विविध विषयों पर चित्रकारी श्रेया का खास शौक है।
बेटी के लिए यंू शिक्षिका बन गई मां :——
श्रेया के पिता संजयराय बिजनेस मैन हैं। मां अंशु राय यंू तो मूलत: गृहिणी थीं लेकिन दिव्यांग बेटी के लिए वह कैसे,शिक्षिका बन गईं। यह भी कम दिलचस्प नहीं है। दरअसल जब श्रेया चिन्मय मिशन के स्कूल में पढऩे जाती थी,तब उसकी छु्ट्टी के इंतजार में मां अंशु स्कूल में ही बैठी रहती थीं। एक दिन प्रबंधन की उन पर नजर पड़ी तो पता चला कि वह तो बीएड हैं। इस तरह अंशु उसी स्कूल में शिक्षिका बना दी गईं जिस स्कूल में बेटी पढ़ती थी। अंशु राय अब इसी स्कूल में वाइस प्रिंसपल हैं। श्रेया का 12 वर्ष का छोटा भाई शिवांश आठवीं में पढ़ता है। वह साइंटिस्ट बनना चाहता है।
इंटरव्यू के लिए लगाई गई थी स्क्रीन :-
यूपीएससी के 5 सदस्यीय बोर्ड के समक्ष इंटरव्यू के दौरान श्रेया राय की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। बोल और सुन नहीं सकने के कारण साक्षात्कार के दौरान एक बड़ी सी स्क्रीन लगाई गई थी। बोर्ड मेंबर्स के सवालों को पहले टाइपराइटर पर टाइप किया जाता था फिर उसे बड़ी स्क्रीन पर शो किया जाता था। श्रेया जो जवाब लिखती थी उसे टाइप करके पुन: बड़ी स्क्रीन पर दर्शाया जाता था। श्रेया के पिता संजय राय ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान श्रेया की सहेली श्रेया कनवडिय़ा वीडियो से नोट्स बना कर पढ़ाती थी।
Created On :   14 Jun 2021 7:15 PM IST