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रिछाई को चाहिए अव्यवस्थाओं से रिहाई

* शहर के सबसे पहले इंडस्ट्रियल एरिया में स्थापना के पाँच दशक बाद भी महज बातों तक सीमित दिखा विकास
* औद्योगिक क्षेत्र रिछाई... यह नाम अब अपरिचित नहीं है। तकरीबन पाँच दशक पहले यहाँ एक ऐसा औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का सपना दिखाया गया था, जहाँ चिकनी सड़कें, चमचमाती स्ट्रीट लाइट्स के साथ सभी कुछ व्यवस्थित होगा लेकिन लम्बे सफर के बाद भी यहाँ हालात दयनीय हैं। नालियाँ, झाडिय़ों में दब गई हैं। विद्युत खम्भे तो लगे हैं, लेकिन उसमें न तो बल्ब हैं और न ही ट्यूब लाइट...। हर तरफ बदहाली है। शहर का सबसे पहला औद्योगिक क्षेत्र आज भी अव्यवस्थाओं से रिहाई माँगता नजर आ रहा है।
डिजिटल डेस्क जबलपुर । रिछाई में लाखों-करोड़ों की लागत से यूनिट लगाने वाले निवेशकों का अपना दर्द है। उनका कहना है कि वर्ष 1971-72 में केवल आठ फैक्ट्रियों से रिछाई औद्योगिक क्षेत्र की नींव रखी गई थी। इसके बाद जिस तेजी से यहाँ फैक्ट्रियाँ बढ़ती गईं, उसी तेजी से अव्यवस्था भी पैर पसारती गईं। वर्तमान में यहां करीब दो सौ इकाइयां हैं, लेकिन जहाँ नजर घुमाएँ, तो हर बदहाली ही नजर आ रही हैं। विकास नाम का शब्द महज बातों तक सीमित दिखाई दे रहा है।
12 साल पहले बनाई सड़क फिर मुड़कर नहीं देखा 8 यहाँ के निवेशक बताते हैं कि रिछाई क्षेत्र की प्रवेश सड़क 12 साल पहले बनाई गई थी। इसके बाद सड़क के धुर्रे उड़ते चल गए, मगर जिन जनप्रतिनिधियों के नाम से सड़क लोकार्पण का पत्थर लगा हुआ है उन जनप्रतिनिधियों ने दोबारा इस सड़क पर डामर का लेप तक लगाने की सुध नहीं ली। जिस मोड़ व गली में जाओ वहाँ गड्ढे ही नजर आते हैं। यहाँ की सड़कें गाँव की पगडंडी की शक्ल में तब्दील हो रही हैं।
ड्रेनेज सिस्टम का बुरा हाल 8 इंडस्ट्री लगाने वालों का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या ड्रेनेज सिस्टम है। यहाँ नालियाँ बनी हैं मगर मिलान न होने से बारिश में फैक्ट्रियों के सामने पानी भर जाता है। ड्रेनेज सिस्टम बनाने विभाग के अधिकारियों के साथ ही संभागायुक्त, कलेक्टर से भी मिलकर चर्चा की गई मगर कोई सुनने वाला ही नहीं है।
शाम ढलते ही अँधेरे में डूब जाता है इलाका
दिन में भले ही इस क्षेत्र में मशीनें चलने की आवाजें आती हैं मगर शाम को औद्योगिक क्षेत्र रिछाई का नजारा ही बदल जाता है। शाम ढलते ही पूरा क्षेत्र अँधेरे में डूब जाता है और असामाजिक तत्वों की भीड़ बढ़ जाती है। गली और मोड़ पर शराब पीने वालों का जमावड़ा होने लगता है। पुलिस चौकी की माँग लगातार की जा रही है।
इनका कहना है
* सड़क, पानी और बिजली की समस्या से हर कोई जूझ रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार समस्या निराकरण के लिए गुहार लगाने के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है।
-अतुल गुप्ता, उपाध्यक्ष, महाकौशल उद्योग संघ
* विभाग एक बार सफाई व लाइट की व्यवस्था तो बनाने तैयार है मगर नियमानुसार मेंटेनेंस का अधिकार यहाँ के संघ का है। सड़क निर्माण का इस्टीमेट बनाकर उद्योग विभाग को भेजा गया है।
-देवव्रत मिश्रा, जीएम, डीआईसी
Created On :   12 Feb 2021 3:44 PM IST