कोरोना से भी ज्यादा गंभीर है सिकलसेल एनीमिया-राज्यपाल

Sickle cell anemia is more serious than corona - Governor
कोरोना से भी ज्यादा गंभीर है सिकलसेल एनीमिया-राज्यपाल
हीमोग्लोबिन पैथी मिशन के अंतर्गत सिकलसेल पोर्टल का हुआ लोकार्पण, राज्य के साथ जिला स्तर पर बनेगी टास्क फोर्स कोरोना से भी ज्यादा गंभीर है सिकलसेल एनीमिया-राज्यपाल


डिजिटल डेस्क जबलपुर। सिकलसेल एनीमिया कोरोना से भी गंभीर बीमारी है, साथ ही मानवता के लिए चुनौती भी हैै। इसका प्रसार न सिर्फ जनजातीय समाज में है बल्कि अन्य समाजों में भी है। केन्द्र और राज्य की सरकारें सिकलसेल के समग्र उन्मूलन के लिए ठोस कार्ययोजना पर कार्य कर रही हैं और समावेशी विकास की ओर बढ़ रही हैं। यह बात रविवार को डुमना रोड स्थित पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र ट्रिपलआईटीडीएम में सिकलसेल रोग के समग्र प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कही। विश्व सिकलसेल एनीमिया जागरुकता दिवस पर आईसीएमआर, राष्ट्रीय जनजाति स्वास्थ्य अनुसंधान तथा लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा उक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, प्रदेश के लोक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी और सांसद राकेश सिंह शामिल हुए। सीएम श्री चौहान ने कहा कि सामाजिक सहभागिता से जिस प्रकार कोविड महामारी की रोकथाम और बचाव में जीत हासिल हुई, ठीक इसी प्रकार सिकलसेल एनीमिया के उन्मूलन में भी जीत मिलेगी। कार्यक्रम में हीमोग्लोबिन पैथी मिशन के अंतर्गत पीडि़त मरीज के डिजिटल हेल्थ का रिकॉर्ड रखने सिकलसेल पोर्टल का लोकार्पण किया गया। इसके साथ ही आईसीएमआर और एनएचएम के बीच सिकलसेल की जाँच को लेकर एमओयू साइन किया गया।
हर प्रभावित जिले की होगी स्क्रीनिंग
सीएम श्री चौहान ने कहा कि सिकलसेल एनीमिया से प्रदेश के 14 जिले प्रभावित हैं। अब तक अलीराजपुर और झाबुआ जिलों की स्क्रीनिंग पायलट प्रोजेक्ट के तहत की जा रही है, लेकिन अब सिकलसेल प्रभावित प्रत्येक जिले की स्क्रीनिंग की जाएगी। इसके लिए राज्य स्तर के साथ जिला स्तर पर भी टास्क फोर्स बनाई जाएगी। समाज के ऐसे लोग जो इस दिशा में कार्य करने के इच्छुक हैं उनका सहयोग भी टास्क फोर्स में लिया जाएगा। सिकलसेल को खत्म करने के लिए जनभागीदारी का मॉडल अपनाएँगे। घर-घर जाकर स्क्रीनिंग करेंगे।
6 माह में पूरी करें स्क्रीनिंग व टेस्टिंग
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि सिकलसेल की पहचान के लिए स्क्रीनिंग व टेस्टिंग तेजी से करें तथा आगामी छह माह में यह पूरी हो जानी चाहिए। व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करते हुए जनजागरुकता लाएँ ताकि समय पर सिकलसेल का उपचार किया जा सके। बेहतर जीवन जीने के लिए योग और आयुर्वेद का सहारा भी लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सिकलसेल रोकने के लिए जो रोडमैप दिया है उसे पूरा करने के लिए व्यापक रूप से प्रभावी कार्य हो।
डेढ़ लाख से ज्यादा नए हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर बनेंगे
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि सिकलसेल बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है। अत: इसकी रोकथाम के लिए लंबी कार्ययोजना के आधार पर कार्य किया जा रहा है। केंद्र सरकार एक अलग सोच के साथ कार्य कर रही है। आने वाले 25 वर्षों का लक्ष्य तय करके कार्य हो रहा है। इसी सोच के साथ देश में डेढ़ लाख से ज्यादा नए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाए जा रहे हैं। प्रत्येक 7 से 8 हजार आबादी पर एक सेंटर हो, यह लक्ष्य है। प्रदेश के लोक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने सिकलसेल एनीमिया की रोकथाम व बचाव के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी।
कार्यशाला के दौरान
- कार्यशाला के पूर्व राज्यपाल एवं सीएम ने ट्रिपलआईटीडीएम परिसर में पीपल, बरगद और नीम के पौधे रोपे। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने भी पौधारोपण किया।
- राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने सिंगल क्लिक से जागरुकता गीत का विमोचन तथा एनीमेटेड वीडियो का शुभारंभ किया, साथ ही सभी अतिथियों ने सिकलसेल से संबंधित प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
- एनएचएम मिशन डायरेक्टर सुश्री प्रियंका दास ने रोग प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। वहीं मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स के ज्वॉइंट सेक्रेटरी डॉ. नवलजीत कपूर ने भी प्रजेंटेशन दिया।
- आईसीएमआर के डायरेक्टर अपरूप दास, डॉ. तापस चकमा, डॉ. ज्योतिष पटेल, डॉ. एस सुब्रमण्यम समेत अन्य अतिथि विद्वानों ने विचार रखे।
- कार्यशाला में क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएँ डॉ. संजय मिश्रा, सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुररिया समेत जबलपुर और रीवा संभाग के चिकित्सक एवं स्वास्थ्य अधिकारी शामिल हुए।
13 वर्षीय सना ने बताई अपनी कहानी
कार्यशाला में अमरेखा निवासी सिकलसेल पीडि़त 13 वर्षीय सना परवीन ने सभी के बीच इस बीमारी से लडऩे का अपना अनुभव साझा किया। जिला अस्पताल में मिल रहे इलाज, पढ़ाई के शौक और अपने बार-बार बिगडऩे वाले स्वास्थ्य के बारे में बात की। सना ने बताया कि वह ढाई साल की थी, जब उसे बीमारी के बारे में पता चला।

 

Created On :   19 Jun 2022 10:57 PM IST

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