पिताजी चलाते थे बूचड़खाना, बेटे को गाय की सेवा करने पर मिला पद्मश्री

Syed Shabbir of Been awarded with the Padmashree Award today
पिताजी चलाते थे बूचड़खाना, बेटे को गाय की सेवा करने पर मिला पद्मश्री
पिताजी चलाते थे बूचड़खाना, बेटे को गाय की सेवा करने पर मिला पद्मश्री

डिजिटल डेस्क, बीड। पिछले 50 वर्षों से नि: स्वार्थ भाव से गौ सेवा करने वाले सैयद शब्बीर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को नई दिल्ली राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। इस मौके पर  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे। शिरुर तहसील से तीन-चार किलोमीटर पर अपने खेत में रहने वाले सैयद शब्बीर गौशाला चलाते हैं। उनके पास इस समय 86 गाय हैं। उनकी बहू , बेटी,  बेटे और परिवार के अन्य 10  सदस्य इसी काम में लगे रहते हैं।

शब्बीर मामू ने आज तक लगभग 200  गायों को जीवनदान दिया है। जो लोग गाय नहीं संभाल पाते इसलिए वह कसाई को बेच देते हैं, उस गाय को शब्बीर मामू छुड़ाकर ले आते हैं और अपनी गोशाला में रखकर उसकी सेवा करते हैं। आज तक शब्बीर मामू ने इस काम के बदले ना तो सरकार से कुछ अपेक्षा रखी और ना ही लोगों से। अपना काम नि: स्वार्थ भाव से करते रहते हैं। 50 साल के उनके इस जीवनयापन में उन्हें अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी भी प्रतिकूल परिस्थिति से समझौता नहीं किया। 

गौ सेवा करने से मुझे आत्मिक सुख की अनुभूति होती है, ऐसा उनका मानना है। शब्बीर मामू का इतिहास देखें तो उनके पिता बूचड़खाना चलाते थे। गायों को काटना यही उनके जीवनयापन करने का तरीका था, लेकिन यह बात शब्बीर मामू की अंतरात्मा को झंझोड़कर रख दी और उन्होंने गौ सेवा का बीड़ा उठाया। 10 साल की उम्र से यही काम में अपना सर्वस्व निछावर कर दिया। आज उनके काम का सही फल मिल गया राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नियाज उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। शब्बीर मामू के इस यथोचित गौरव के कारण लोगों में आनंद उत्सव मनाया जा रहा है।

Created On :   16 March 2019 6:09 PM GMT

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