ब्लैक फंगस की गिरफ्त में अब दाँत और चेहरा भी 

Teeth and face now in the grip of black fungus
ब्लैक फंगस की गिरफ्त में अब दाँत और चेहरा भी 
ब्लैक फंगस की गिरफ्त में अब दाँत और चेहरा भी 

शुरुआत में आए ज्यादातर मामले नाक, आँख और ब्रेन में फंगस के, अब तक 141 सर्जरी, 30 मौतें
डिजिटल डेस्क जबलपुर
। पोस्ट कोविड इफैक्ट के रूप में सामने आए गंभीर फंगल इंफेक्शन ब्लैक फंगस के नए मरीजों की संख्या में शुरुआती दिनों के मुकाबले गिरावट आई है, हालाँकि विशेषज्ञों का कहना है कि खतरा अब भी बरकरार है। शुरुआती मामलों में जहाँ ब्लैक फंगस नाक, आँख और फिर ब्रेन तक पहुँचकर नुकसान पहुँचा रहा था, हालिया दिनों इस पैटर्न में बदलाव देखा गया है। मेडिकल कॉलेज में बनाए गए विशेष वार्ड में अब ऐसे मरीज भी आ रहे हैं, जिनमें ब्लैक फंगस का असर दाँतों और चेहरे पर भी दिखाई दे रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि पोस्ट कोविड फेज में मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है, खास तौर पर ऐसे मरीज जो पहले से ही डायबिटीज समेत अन्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त हैं। मेडिकल कॉलेज में अब तक ब्लैक फंगस की 141 सर्जरी हो चुकी हैं, वहीं 30 व्यक्तियों ने जान गंवाई है। इनके अलावा स्वस्थ होने पर 92 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया है और 410 मरीजों की एंडोस्कोपी हुई है।
हिलने लगते हैं दाँत 
मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस वार्ड प्रभारी डॉ. कविता सचदेवा ने बताया कि हाल ही के कुछ दिनों में चेहरे और दाँतों में भी ब्लैक फंगस के मामले आए हैं। दाँतों का हिलना, इसका सबसे प्रमुख लक्षण है। शुरुआत में लोग डेंटिस्ट के पास चले जाते हैं, जहाँ ब्लैक फंगस की पुष्टि होने पर उन्हें विशेषज्ञ के पास जाने की सलाह दी जाती है।  40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में सबसे ज्यादा मामले 6 मेडिकल कॉलेज में अब तक आए ब्लैक फंगस के मरीजों में सबसे ज्यादा संख्या 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की रही है। इस उम्र वर्ग में करीब 60 प्रतिशत मरीज रहे हैं। डॉ. सचदेवा के अनुसार इसका बड़ा कारण इस उम्र के लोगों में मधुमेह समेत अन्य तरह  की बीमारियों का होना है, जिसके चलते इम्युनिटी वीक होती है और लोग ब्लैक फंगस की गिरफ्त में आ जाते हैं। सबसे कम मामले 30 से कम उम्र में हैं।  
ब्रेन में फंगस मौत की बड़ी वजह - मेडिकल कॉलेज में अब तब 30 मरीजों ने ब्लैक फंगस से जान गंवाई है। इनमें से अधिकतर मामलों में कारण ब्लैक फंगस का दिमाग तक पहुँचना रहा। विशेषज्ञों के अनुसार ब्रेन में फंगस के पहुँचने के बाद रक्तवाहिकाएँ अवरुद्ध होने लगती हैं, ऐसे मरीजों का बचना मुश्किल होता है।
 

Created On :   27 Jun 2021 5:34 PM IST

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