एटीएम मशीन से ही लगा लुटेरों का सुराग, एक बार कार्ड स्वैप करना महँगा पड़ा

दोनो आरोपी दोनों वाराणसी से गिरफ्तार एटीएम मशीन से ही लगा लुटेरों का सुराग, एक बार कार्ड स्वैप करना महँगा पड़ा

डिजिटल डेस्क जबलपुर। 11 फरवरी को दिनदहाड़े लूट की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी मनोज पाल और सुनील पाल का कोई क्रिमिनल िरकॉर्ड नहीं था। बाइक की नंबर प्लेट की सीरीज भी स्पष्ट नहीं िदख रही थी। पुलिस के लिए आरोपियों की पहचान करना सबसे बड़ा चैलेंज था, लेकिन काफी कोशिशों के बाद उनकी कोई पहचान नहीं हो पाई। 10 हजार से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे और 5 हजार मोबाइल फोनों की पीएसटीएन लोकेशन्स खँगालने के बाद लुटेरे गोहलपुर से िसहोरा के बाद रीवा और िफर बनारस की तरफ भागते हुए नजर आए। लेकिन उनकी कोई पुख्ता पहचान नहीं हो पा रही थी। पुलिस का सारा इन्वेस्टिगेशन टेक्निकल आधार पर चल रहा था, जिसमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र से एटीएम के सीसीटीवी फुटेज और एटीएम मशीन की िडटेल्स भी माँगी गई थीं। बस इसी तकनीकी पार्ट में उसी एटीएम मशीन से लुटेरों का सुराग पुलिस के हाथ लगा। सूत्रों के अनुसार 5 फरवरी को एटीएम मशीन में मनोज पाल के एटीएम स्वैप होने की जानकारी िमली, जिसमें मनोज का मोबाइल नंबर िमला और यहीं से पुलिस को लीड िमलती चली गई।
जंगल में काटी थी रात
एसपी श्री बहुगुणा ने बताया कि 11 फरवरी को दोपहर में वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी मनोज व सुनील ने जंगल में रात काटी। इसके बाद वे लोग 12 फरवरी को तड़के पाँच बजे सदर महावीर कंपाउंड स्थित अपने किराए के कमरे में पहुँचे और अपना सामान बटोरा। सुबह करीब 8 बजे दोनों ने हेयर कट कराए और साढ़े 9 बजे बाइक से गोहलपुर, िसहोरा होते हुए वाराणसी तक भागे थे।
शहर में पढ़ाई की थी इसलिए रास्तों की थी पहचान
आरोपी मनोज एवं सुनील को उनके चाचा श्यामलाल पाल ने गोद लिया था। श्यामलाल जेसीओ जबलपुर में नौकरी करते थे, िरटायर होने के बाद वे िबलहरी में ही रहते हैं। इसलिए मनोज और सुनील दोनों की पढ़ाई जबलपुर में ही हुई थी। मनोज ने सेंट अलॉयशियस कॉलेज से बीए किया था, वहीं सुनील ने आर्मी स्कूल में बारहवीं तक पढ़ाई की थी। करीब पाँच साल पहले दोनों वाराणसी चले गए थे, जहाँ से काम करने के लिए वे दोनों गुजरात भी गए थे। इसलिए दोनों को सदर, बिलहरी के साथ पूरे शहर के रास्तों की अच्छी पहचान थी।
रिटायर्ड जेल अधीक्षक के घर किराए से रहते थे
मनोज और सुनील करीब तीन माह पूर्व जबलपुर आए थे। उन्हें पता था िक सदर में कई घरों में स्टूडेंट?्स को किराए से कमरे मिल जाते हैं। इसलिए उन्होंने महावीर कंपाउंड निवासी िरटायर्ड जेल अधीक्षक के घर में किराए से कमरा लिया था। वे दोनों कॉलेज जाने के बहाने सुबह से िनकल जाते थे, और िदन भर रैकी करते थे। िरटायर्ड जेल अधीक्षक की तरफ से किस तरह की लापरवाही बरती गई इसको लेकर जाँच की जा रही है, िजसके आधार पर उन पर कार्रवाई की जाएगी।
विजय ितवारी फिर बने कैंट टीआई
इस मामले में किराएदारों की जाँच में लापरवाही बरतने के कारण कैंट टीआई िवजय तिवारी को एसपी श्री बहुगुणा ने मौखिक आदेश के तहत लाइन अटैच कर िदया था। लेकिन बुधवार को लुटेरों के पकड़े जाने के बाद श्री ितवारी को पुन: कैंट थाने का चार्ज सौंप िदया गया।
टीम वर्क से िमली पुलिस को सफलता
एसपी िसद्धार्थ बहुगुणा के अनुसार लूट से ज्यादा कैश-वैन के गनमैन राजबहादुर पटेल की हत्या होना जबलपुर पुलिस के लिए सबसे बड़ा चैलेंज बन गया था। लेकिन टीम वर्क के कारण हमें सफलता िमल पाई। श्री बहुगुणा के अनुसार वारदात होने से आरोपियों के पकड़े जाने तक सभी टीमों के बीच पुलिस कंट्रोल-रूम प्रभारी रविन्द्र िसंह और उनकी टीम ने सतत कोऑर्डिनेशन बनाने का काम किया है।
हर टीम ने निभाई िजम्मेदारी
- एएससपी गोपाल खांडेल के नेतृत्व में सीएसपी कैंट भावना मरावी, सीएसपी अखिलेश गौर व टीआई गोराबाजार सहदेवराम साहू की टीम को स्पॉट वेरिफिकेशन, बैंक, एसआईएस कंपनी से जानकारियाँ जुटाने के लिए लगाया गया था।
- एएसपी संजय अग्रवाल के नेतृत्व में सीएसपी तुषार िसंह, आरडी भारद्वाज, प्रमपी प्रजापति, प्रशिक्षु आईपीएस शशांक, डीएसपी सुशील चौहान, एमपी प्रजापति, टीआई एसपीएस बघेल, अनिल गुप्ता, प्रफुल्ल श्रीवास्तव, नीरज वर्मा, विजय सिंह परिहार की टीमों को िनगरानीशुदा बदमाशों से पूछताछ व किराएदारों की जानकारियाँ जुटाने के लिए लगाया गया था।
- एएसपी ग्रामीण शिवेश िसंह बघेल के साथ टीआई िनरूपा पांडे, शफीक खान, रीतेश पांडे, सोमा मलिक, एसआई चंद्रकांत झा, मयंक यादव, एसआई जगन्नाथ यादव, एएसआई धनंजय िसंह, रामस्नेही शर्मा, मोहन तिवारी को अपराधियों की धरपकड़ की जिम्मेदारी दी गई थी।
साइबर टीम ने िनभाया अहम रोल
इस घटना में साइबर सेल के आरक्षक अमित पटेल के नेतृत्व में आदित्य, गोपाल विश्वकर्मा, ओम नारायण, अजय यादव,
नीरज तिवारी, मानस उपाध्याय, अमित श्रीवास्तव, अनूप सिंह, नवनीत चक्रवर्ती, मोहित उपाध्याय और एएसआई िवजय शुक्ला ने 10 हजार से ज्यादा मोबाइल फोन की िडटेल व कैमरों के फुटेज को खँगालने का काम किया। पी-3

 

Created On :   23 Feb 2022 10:49 PM IST

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