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सिहोरा-बहोरीबंद का जंगल बना शिकारियों का गढ़
डिजिटल डेस्क जबलपुर। जबलपुर-कटनी की सीमा पर स्थित सिहोरा-बहोरीबंद का जंगल शिकारियों का गढ़ बन चुका है। सोमवार को तेंदुए की मौत के बाद इसका खुलासा हुआ है। सूत्रों के अनुसार सोमवार को तेंदुए की मौत की सूचना िमलने के बाद वन विभाग के अफसर जब मौके पर पहुँचे और आसपास सर्चिंग की गई तो गुटरी, चीतल, हिरण समेत कई तरह के वन्य प्राणियों की हड्डियाँ, खाल के टुकड़ों के साथ िशकार में उपयोग होने वाले तार के फंदे, कटी हुई िवद्युत लाइनों के साथ अन्य चीजें भी बरामद हुईं। जिनको देखकर वन िवभाग की टीम के होश उड़ गए, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी मामले को दबाने के लिए लीपापोती शुरू कर दी गई।
उल्लेखनीय है कि रविवार को कटनी िजले के बहोरीबंद में स्थित ग्राम खडऱा के समीप जंगल में एक 3-4 वर्षीय तेंदुए का शव मिला था। सूचना मिलने पर जबलपुर डीएफओ अंजना सुचिता तिर्की के साथ कटनी और िसहोरा रेंजों की टीम ने मौके पर पहुँचकर जाँच की थी। तेंदुए के गले में तार के गहरे िनशान थे, िनरीक्षण के दौरान जाँच दल को घटनास्थल के पास कटे हुए तार मिले थे। जिससे अनुमान लगाया जा रहा था िक किसी दूसरे जानवर के लिए बिछाए गए फंदे में तेंदुआ फँस गया होगा जिससे उसकी मौत हुई। यह बात भी सामने आई थी िक िशकार करने वाले प्रोफेशनल नहीं थे, वे िसर्फ वन्य प्राणियों का मांस खाने वाले होंगे इसलिए तेंदुए की मौत के बाद वे लोग फंदा िनकालकर तेंदुए का शव छोड़ गए होंगे।
औपचारिकता के लिए होती है गश्त
जानकारों के अनुसार बहोरीबंद और सिहोरा की बांधवगढ़ से सीधी कनेक्टिविटी है। इसलिए हिरण-चीतल जैसे लंबी दूरी तय करने वाले वन्य प्राणियों की संख्या भी काफी है। यही वजह है िक यह जगह सालों से शिकारियों के रडार पर रही है। ग्रामीणों का आरोप है िक पूर्व में भी कई बार िशकार की घटनाएँ हो चुकी हैं, लेकिन दर्जनों शिकायतें करने के बाद भी वन विभाग की टीम िसर्फ औपचारिकता के लिए गश्त करती है।
वेटरनरी विवि में हुआ तेंदुए का पीएम-
नानाजी देशमुख वेटरनरी िववि के स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ एंड हेल्थ की संचालिका शोभा जावरे ने बताया िक रविवार की रात डीएफओ अंजना सुचिता तिर्की की सूचना पर विशेषज्ञ डॉ. अमोल रोकड़े को मौका-ए-वारदात पर भेजा गया था। रात करीब 2 बजे तेंदुए का शव जबलपुर लाया गया और सोमवार की सुबह उसका पोस्टमार्टम किया गया, जिसमें शव के जैविक नमूनों को प्रिजर्व कर लिया गया है। सभी तथ्यों की िरपोर्ट आने के बाद ही मौत का वास्तविक कारण पता चल सकेगा। पीएम करने वाली टीम में डॉ. यामिनी वर्मा, डॉ. अमिता दुबे, डॉ. सोमेश सिंह, डॉ. केपी सिंह, डॉ.निधि राजपूत, डॉ. देवेन्द्र पोधाड़े शामिल थे।
Created On :   7 Sept 2021 10:14 PM IST