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अभियोजन का काम केवल सजा दिलाना नहीं, बल्कि न्याय दान में सहयोग करना है
डिजिटल डेस्क जबलपुर। हाईकोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन ने कहा कि अभियोजन का काम केवल सजा दिलाना नहीं, बल्कि न्यायालय के समक्ष सत्य को प्रकट करने के लिए न्यायदान में भी सहयोग करना है। लोक अभियोजक जब न्यायालय में खड़े होते हैं तो वे प्रदेश की 8 करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। दरअसल लोक अभियोजक जनता की तरफ से अभियोजन का काम करते हैं। उक्ताशय के विचार जस्टिस श्रीधरन ने आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित अभियोजन अधिकारियों, शिक्षकों और पुलिस अधिकारियों की एक दिवसीय संभाग स्तरीय कार्यशाला के शुभांरभ अवसर पर व्यक्त किए।
होटल गुलजार में आयोजित कार्यशाला में जस्टिस श्रीधरन ने कहा कि पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए विवेचना की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। यदि विवेचना में कमी होगी तो आगे आरोपियों को सजा दिलाने में मुश्किल होगी। कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने कहा कि सारी ऊर्जा हमारे अंदर है और पूरी ऊर्जा से हमें अपना काम करना चाहिए, जिससे समाज के साथ न्याय हो सके। जिला अभियोजन अधिकारी अजय कुमार जैन ने कहा कि कोविड महामारी के दौर में डिजिटल वैल्यू तो बढ़ी, लेकिन फिजिकल वैल्यू कम हुई है। राज्य न्यायिक अकादमी के डिप्टी डायरेक्टर यशपाल सिंह ने साइबर लॉ के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी। डॉ. निधि राजपूत ने वन्यजीवों से संबंधित अपराधों और विशेष लोक अभियोजक मनीषा दुबे ने पॉक्सो एक्ट में आयु निर्धारण के प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताया। मंच संचालन सारिका यादव ने किया। कार्यशाला में जबलपुर संभाग के अंतर्गत जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, नरसिंहपुर, मण्डला, डिण्डौरी के अभियोजन अधिकारी, शिक्षक एवं पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।
Created On :   13 Feb 2022 10:14 PM IST