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जहरीला हो रहा अमृत तुल्य नर्मदा का पानी - सौ से ज्यादा नाले मिलते हैं नदी में
डिजिटल डेस्क जबलपुर । जनवरी के अंतिम सप्ताह में भूजल सर्वेक्षण विभाग ने ग्वारीघाट के उमाघाट, सिद्धघाट, दरोगाघाट, खारीघाट आदि का सैम्पल लेकर नर्मदा में प्रदूषण की जाँच की, इसमें बीओडी तो सही पाई गई, लेकिन हार्डनेस 950 के खतरनाक स्तर पर मिली, जबकि इसका सामान्य स्तर प्रति लीटर पानी में 250 होना चाहिए। भूजल विद विनोद दुबे के अनुसार नर्मदा के पानी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा आश्चर्यजनक ढँग से कम हो रही है। नाइट्रेट की अधिकता के साथ टोटल कॉलीफार्म आर्गनिज्म (बैक्टीरिया) भी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक से कई गुना अधिक 900 मिली ग्राम प्रति लीटर पाया गया है। यह स्थिति नर्मदा में सीवर व नालों का पानी व माइक्रो पॉलीथिन मिलने की वजह से बनी है।
ट्रीटमेंट प्लांट हुए बेकाम
नगर निगम ने दरोगाघाट के पास करीब 5 लाख लीटर क्षमता के दो ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हैं। पूर्व महापौर प्रभात साहू के कार्यकाल में 50 लाख की लागत से एक लाख लीटर का ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया था। पूर्व महापौर स्वाति गोडबोले ने इसकी क्षमता बढ़ाते हुए 1 करोड़ 65 लाख रुपए की लागत से 4 लाख 50 हजार लीटर क्षमता का दूसरा प्लांट लगवाया। इसमें से 1 लाख लीटर पानी साफ करने वाला प्लांट बेकार हो गया है।
ये है एनजीटी का आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 6 नवंबर 2017 को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि नर्मदा नदी में गंदे नाले मिलने से रोके जाएँ, ताकि नर्मदा नदी में हो रहे प्रदूषण को रोका जा सके। एनजीटी ने यह आदेश नगरीय विकास एवं आवास विभाग के उस जवाब के आधार पर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि प्रदूषण को रोकने के लिए 31 मार्च 2020 तक नर्मदा नदी में गंदे नाले मिलने से रोके जाएँगे। एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को हर 6 महीने में नर्मदा नदी के पानी की गुणवत्ता की जाँच करने के लिए कहा था। वन एवं उद्यानिकी विभाग को नर्मदा नदी के किनारे पर पौधारोपण करने का निर्देश दिया गया था।
Created On :   18 Feb 2021 2:19 PM IST