हाईकोर्ट बार में दिवंगत वकीलों को दी गई श्रद्धांजलि -महिला और जूनियर अधिवक्ताओं को चीफ जस्टिस ने भेंट की कानूनी संग्रह के सेट

Tributes paid to the late lawyers in the High Court bar
हाईकोर्ट बार में दिवंगत वकीलों को दी गई श्रद्धांजलि -महिला और जूनियर अधिवक्ताओं को चीफ जस्टिस ने भेंट की कानूनी संग्रह के सेट
हाईकोर्ट बार में दिवंगत वकीलों को दी गई श्रद्धांजलि -महिला और जूनियर अधिवक्ताओं को चीफ जस्टिस ने भेंट की कानूनी संग्रह के सेट

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में शुक्रवार को चार दिवंगत वकीलों को श्रद्धांजलि दी गई। समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल ने कहा- च्मैनें यह पहली बार देखा है कि दिवंगत अधिवक्ताओं की याद में हर साल यह कार्यक्रम स्मृति दिवस के रूप में आयोजित किया जाता है। मुझे पता लगा कि हाईकोर्ट बार के सचिव मनीष तिवारी द्वारा अपने पिता पीएस तिवारी के निधन के बाद यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। दिवंगत अधिवक्ताओं के लिए ऐसा आयोजन किया जाना प्रशंसनीय है।ज् कार्यक्रम में हाईकोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश जस्टिस संजय यादव भी मौजूद थे। इस मौके पर दिवंगत अधिवक्ता स्व. पीएन दुबे और स्व. सुरेश कुमार के छाया चित्रों का अनावरण किया गया। साथ ही सचिव मनीष तिवारी, आरती तिवारी व आशीष तिवारी द्वारा प्रदत्त विधि ग्रंथों के सेट महिला व जूनियर अधिवक्ताओं को चीफ जस्टिस ने भेंट किए। कार्यक्रम को हाईकोर्ट बार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पारितोष त्रिवेदी ने भी संबोधित किया।
बार के संस्थापक सदस्य थे स्व. संघी: हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष रमन पटेल ने अपने उदबोधन में कहा- च्स्व. जेपी संघी हाईकोर्ट बार के संस्थापक सदस्य थे। स्व. संघी बार के सचिव निर्वाचित भी हो चुके थे और उनकी ख्याति भी बहुत थी। संवैधानिक और दीवानी मामलों में स्व. संघी ने सुप्रीम कोर्ट के अलावा देश के अन्य उच्च न्यायालयों में लगातार पैरवी भी की। उन्हें करीब 70 वर्षों की वकालत का अनुभव था। उनके दो पुत्र आरके संघी और आदित्य संघी अभी भी हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं। उनके दामाद मुकुल रोहतगी भारत के पूर्व एटॉर्नी जनरल रह चुके हैं।
पिता के ऋण को उतारने का प्रयास किया
 वरिष्ठ अधिवक्ता टीएस रूपराह ने
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा- च्स्व. पीएस तिवारी मेरे मित्र रहे। उनकी याद में उनके पुत्र मनीष ने लाईब्रेरी के लिए 1.11 लाख रुपए, दूसरे वर्ष ई-लाईब्रेरी के लिए एक लाख रुपए, तीसरे वर्ष एम्बुलेंस, चौथे वर्ष वकीलों के लिए ई-रिक्शा प्रदान किया। इतना ही नहीं, सड़क हादसे में अधिवक्ता स्व. अशोक सिंह के निधन पर उनके परिजनों को डेढ़ लाख रुपए व उनके बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेकर मनीष ने अपने पिता के पितृ-ऋण को उतारने का प्रयास किया है।
बिना भय के अंतिम समय तक किया संघर्ष:
 अध्यक्ष रमन पटेल ने स्व. पीएन दुबे और स्व. सुरेश कुमार से जुड़े संस्मरण भी सुनाए। उन्होंने कहा कि स्व. दुबे एयरफोर्स में रहने के बाद वकालत के पेशे से जुड़े। वरिष्ठ
अधिवक्ता आरएन सिंह के मार्गदर्शन में वकालत शुरु करने के बाद वे हर विधा के पारंगत वकील बने। वर्ष 2004 से 2009 तक उपमहाधिवक्ता पद पर रहने के बाद श्री दुबे ने हाईकोर्ट बार के चुनाव भी कराए। जुलाई 2018 में उनका कैंसर से निधन हुआ, लेकिन अंतिम सांस तक उनका संघर्ष बिना किसी भय के जारी रहा। उनके पुत्र प्रवीण 
 

Created On :   14 March 2020 1:34 PM IST

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