- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- जबलपुर
- /
- मप्र वाइल्ड लाइफ बोर्ड में हुईं...
मप्र वाइल्ड लाइफ बोर्ड में हुईं नियुक्तियों पर जवाब क्यों नहीं दे रही सरकार?

जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाकर जवाब पेश करने दी आखिरी मोहलत,
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र वाइल्ड लाइफ बोर्ड में हुई नियुक्तियों को चुनौती देने वाले मामले पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को काफी कड़ा रुख अपनाया है। नोटिस तामील होने के बाद भी सरकार द्वारा जवाब पेश न किए जाने को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने आखिरी मौका दिया है। मामले पर अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी।
भोपाल निवासी अजय दुबे की ओर से वर्ष 2019 में दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश को टाईगर स्टेट का दर्जा मिला है। वन प्राणियों के संरक्षण में मप्र वाइल्ड लाईफ बोर्ड की भूमिका अहम रहती। प्रदेश सरकार ने 3 अगस्त 2019 को मप्र वाइल्ड लाइफ बोर्ड का पुनर्गठन किया। याचिका में आरोप है कि पुनर्गठित वन्य प्राणी संरक्षण बोर्ड में अनुसूचित जनजाति के दो गैर सरकारी सदस्यों को शामिल नही किया गया। इतना ही नहीं, बोर्ड में विशेषज्ञों को शामिल किया जाना था, लेकिन तीन सदस्यों की वन्य प्राणियों में रूचि होने की वजह से ही शामिल किया गया, जो अवैधानिक है। नियम अनुसार गैर सरकारी सदस्य को वन्य प्राणी संरक्षण में एक्सपर्ट होना चाहिए। आरोप यह भी है कि राजनैतिक सिफारिशों, भाई भतीजावाद और भ्रष्ट आचरण के कारण बोर्ड में अयोग्य सदस्यों की नियुक्ति हुई है। इन आधारों के साथ दायर याचिका में बोर्ड को भंग करने की प्रार्थना याचिका में की गयी है। याचिका पर हुई प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मामले में बनाए गए अनावेदकों को अगस्त 2019 को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए थे।
मामले पर शुक्रवार को आगे हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि अनावेदकों को जारी हुए नोटिस तामील भी हो चुके हैं, इसके बाद भी उनके द्वारा मामले पर जवाब पेश नहीं किया जा रहा है। इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए युगलपीठ ने अनावेदकों को जवाब पेश करने आखिरी मोहलत देकर सुनवाई मुलतवी कर दी।
Created On :   14 March 2020 1:23 PM IST