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Panna News: कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने स्वास्थ्य व पर्यटन के लिए किया विशेष प्रयास

- कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने स्वास्थ्य व पर्यटन के लिए किया विशेष प्रयास
- पत्नि व बेटी के कोविड पॉजीटिव होने के बाद भी तत्कालीन कलेक्टर ने नहीं छोडा था मुख्यालय
Panna News: जिले के पूर्व कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा का तीन साल का कार्यकाल सिर्फ प्रशासनिक उपलब्धियों की कहानी नहीं है बल्कि यह सेवाए संघर्ष और गहरी मानवीय संवेदनाओं की एक यात्रा है। 22 अगस्त 2020 को जब उन्होंने पन्ना की कमान संभाली तब यह यात्रा केवल एक प्रशासनिक जिम्मेदारी से कहीं बढक़र साबित हुई।
कोविड का अभूतपूर्व संघर्ष
श्री मिश्रा का कार्यकाल ऐसे समय में शुरू हुआ जब दुनिया कोविड-19 महामारी की चपेट में थी। पन्ना जैसे सीमित संसाधनों वाले जिले में उन्होंने चुनौती को स्वीकार किया और तत्काल कदम उठाए। उनकी पहल पर ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट स्थापित हुए। जिला अस्पताल में आईसीयू और आइसोलेशन बेड बढ़ाए गए और दूर-दराज के आदिवासी क्षेत्रों तक घर-घर टीकाकरण अभियान चलाया गया। इस दौरान उनके निजी जीवन में भी एक बड़ी परीक्षा आई जब उनकी पत्नि और बेटी कोविड पॉजिटिव होकर दिल्ली में ऑक्सीजन सपोर्ट पर थीं। एक तरफ प्रशासनिक मोर्चे पर डटे रहना था तो दूसरी तरफ परिवार के लिए दिल में चिंता थी लेकिन पन्ना के लोगों ने उन्हें हिम्मत दी। उन्होंने श्री मिश्रा से कहा आप अकेले नहीं हैं हम आपका परिवार हैं। इस समर्थन ने उन्हें नया साहस दिया और इस मुश्किल घड़ी से निकलने में मदद मिली।
औद्योगिक और पर्यटन विकास की नई उड़ान
महामारी के बाद श्री मिश्रा ने पन्ना को विकास के नए रास्ते पर लाने का संकल्प लिया। उनके नेतृत्व में पन्ना जो पहले औद्योगिक रूप से शून्य था एक औद्योगिक जिला बनने की दिशा में आगे बढ़ा। जेके सीमेंट प्लांट का उत्पादन शुरू होना एक बड़ी उपलब्धि रही जिसने हजारों लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए। पर्यटन के क्षेत्र में भी ऐतिहासिक कदम उठाए गए। बृहस्पति कुंड पर ग्लास ब्रिज के निर्माण की शुरुआत हुई जिससे एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा मिला। साथ ही पन्ना की पहचान हीरे को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए डायमंड पार्क की स्थापना को मंजूरी मिली।
संवेदनशील प्रशासन, लोगों से जुड़ाव
श्री मिश्रा के लिए प्रशासन केवल फाइलों तक सीमित नहीं था। उन्होंने सीधे लोगों से जुडक़र उनकी समस्याओं को समझा। वह गांवों में जाकर किसानों से बात करते थे बच्चों को गले लगाते थे और महिलाओं की समस्याओं को सुनते थे। उनके कार्यकाल में विधवाओं, दिव्यांगों और अनाथ बच्चों के लिए विशेष योजनाएं और अभियान चलाए गए जिससे यह साबित हुआ कि असली विकास लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना है। आज जब श्री मिश्रा पन्ना से विदा हो चुके हैं तब वह कहते हैं असली हीरे खदानों में नहीं पन्ना के दिलों में चमकते हैं। उनका यह कार्यकाल इस बात का प्रमाण है कि नेतृत्व केवल आदेश देने से नहीं बल्कि लोगों के दिलों को जोडऩे और उनका विश्वास जीतने से होता है।
Created On :   25 Aug 2025 1:43 PM IST