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Panna News: स्वच्छ भारत मिशन हुआ अस्वच्छ, पांच माह में एक लाख की कागजों में सफाई, गांव में बह रहा नाली का गंदा पानी

- पांच माह में एक लाख की कागजों में सफाई
- गांव में बह रहा नाली का गंदा पानी
- रैपुरा तहसील के अधराड ग्राम पंचायत का मामला
Panna News: शासन ग्रामों में विकास कार्यों के साथ ही सफाई पर प्रतिवर्ष लाखों रुपए का बजट पंचायतों में खर्च कर रही है लेकिन सफाई के नाम पर सारा बजट कागजों में खर्च हो रहा है। शाहनगर जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत अधराड के ग्रामीणों ने गांव की नालियां एवं सफाई की वास्तविक स्थिति दिखाई एवं आरोप लगाया कि गांव में साफ -सफाई के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है। उन्होंने बताया कि सफाई के नाम पर सारा बजट कागजों में खर्च हो रहा है। ग्रामीणों ने गांव की गलियां दिखाते हुए बताया कि यहां बच्चों तक का निकलना मुश्किल होता है। हर जगह गलियों में नालियों का गंदा पानी बहता रहता है। सफाई के नाम पर पंचायत साल भर में लाखों रुपए निकालती है। हकीकत इसके उलट है हजारों रुपए की लागत से बने कूड़ादानों में पेड़ उग आए हैं यह कचडा काफी समय से फेंका नहीं गया तो फिर बिल किस कार्य के लगाये जा रहे हैं।
जांच में सामने आई हकीकत
आरोपों की हकीकत जानने पड़ताल शुरू की तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। पंचायत ने सीमेंट रेत के कांट्रेक्टर से कागज़ों में 28 हजार रुपए के कचरा परिवहन करा लिया। रैपुरा की एक निजी फर्म जो गिट्टी और रेत का काम करती है उसके नाम पर फरवरी माह में २१ हजार व ०७ हजार के दो बिल लगा दिया एवं राशि हस्तांतरित कर दी। इसी तरह जून माह में 38 हजार रुपए कचरा परिवहन, इसी तरह अप्रैल 2025 में 14500 रुपए साफ -सफाई एवं कचरा परिवहन, मार्च में दस हजार रुपए, फरवरी में 35 हजार रुपए सफाई एवं कचरा परिवहन पर खर्च किए। इस तरह पंचायत ने फरवरी से जून तक एक लाख एक हजार पांच सौ रुपए साफ -सफाई एवं कचरा परिवहन पर खर्च किए। कचरा परिवहन के नाम पर लगाए गए बिलों की पड़ताल करना शुरू किया तो वहां ग्रामीणों के आरोप सही साबित होते नजर आए। सीमेंट, गिट्टी बेचने वाली फर्म से पंचायत ने कचरा परिवहन तो कराया परंतु पोर्टल पर बिल के नाम पर सिर्फ ब्लैक फोटो लगा दी। यही हाल अन्य बिल की तस्वीरों में भी रहा। सवाल यह है कि इनकी मॉनिटरिंग कौन कर रहा है। ऑडिट किस तरह किए जा रहे हैं। इस संबंध में शाहनगर जनपद पंचायत के सीईओ भगवान सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि अगर हमें कोई शिकायती आवेदन मिलता है तो हम कार्यवाही करेंगे। सवाल यह है कि फिर पंचायतों के ऑडिट कैसे होते हैं इतनी बड़ी वित्तीय अनियमितियां कैसे हो रहीं हैं। जानकारी मिलने पर भी शिकायती आवेदन का इंतजार क्यों।
आप गलियों की हालत देखिए और अनुमान लगाईये कि कितनी सफाई हुई है।
जीतेन्द्र लोधी, ग्रामीण
सफाई के नाम पर सिर्फ तीन से चार हजार रूपए का कार्य ग्रामीणों के कहने पर १५ अगस्त के आसपास हुआ था बांकी सारे बिल फर्जी लगाये गये हैं।
देशराज लोधी, ग्रामीण
इनका कहना है
शिकायत मिलने पर हम पंचायत के कार्यों की जांच कराएंगे एवं कार्यवाही कराएंगे।
भगवान सिंह, सीईओ जनपद पंचायत शाहनगर
Created On :   14 Sept 2025 2:39 PM IST