Panna News: गेरुआ गांव की सड़क बनी दलदल, हर बरसात में कीचड़ से जूझते ग्रामीण

गेरुआ गांव की सड़क बनी दलदल, हर बरसात में कीचड़ से जूझते ग्रामीण
पन्ना जिले के ग्रामीण अंचल में आज भी बुनियादी सुविधाओं की कमी ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। यह हालात पहाड़ीखेरा के समीपवर्ती ग्राम पंचायत भसूडा के ग्राम गेरुआ की मुख्य सडक़ का है जहां ग्रामीणों को हर बरसात में दलदल और कीचड़ भरे रास्ते से गुजरना पड़ता है।

Panna News: पन्ना जिले के ग्रामीण अंचल में आज भी बुनियादी सुविधाओं की कमी ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। यह हालात पहाड़ीखेरा के समीपवर्ती ग्राम पंचायत भसूडा के ग्राम गेरुआ की मुख्य सडक़ का है जहां ग्रामीणों को हर बरसात में दलदल और कीचड़ भरे रास्ते से गुजरना पड़ता है। पन्ना-पहाड़ीखेड़ा मुख्य मार्ग स्थित ग्राम हीरापुर के सामने सडक़ के उस पार गेरुआ गांव तक लगभग १.५ किलोमीटर लंबा यह संपर्क मार्ग पिछले कई वर्षों से कच्चा और जर्जर स्थिति में है। बरसात के चार महीनों में यह पूरी सडक़ गारे-मिट्टी के दलदल में तब्दील हो जाती है जिससे ग्रामीणों को आवागमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार इस सडक़ की हालत इतनी बदतर हो जाती है कि बरसात के मौसम में न तो दोपहिया और न ही चारपहिया वाहन चल पाए पैदल चलना भी यहां किसी चुनौती से कम नहीं। गहरे कीचड़ व गड्ढो के चलते बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं और मरीजों को गाँव से बाहर निकलने में बहुत दिक्कतें आती हैं। सडक़ मार्ग के बीचों-बीच पानी भरे गड्ढे और भारी फिसलन के कारण लोग अक्सर गिरकर घायल हो जाते हैं या फिर जरूरी काम भी छोडऩा पड़ता है।

घुटनो तक फंसी मासूम बच्चो की पढ़ाई

सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों को होती है। ग्राम गेरुआ में माध्यमिक शाला स्थित है इसी मार्ग में ही बरी टोला मजरा स्थित है जहां के बच्चे माध्यमिक शाला गेरूआ में अध्ययन करते है। गांव के बच्चो को बरसात में घुटनो तक कीचड़ से जूझते हुए बच्चे नंगे पाँव या जूतों को हाथ में लेकर विद्यालय पहुंचते हैं। रास्ते में एक नाले को पार करना भी एक और चुनौती है जिसमें बारिश के दौरान कभी-कभी पानी इतना बढ़ जाता है कि बच्चों का स्कूल जाना बाधित हो जाता है। बरसात के समय चार माह तक बच्चों के अभिभावक परेशानियों जूझते हुए उन्हें स्कूल तक पहुुंचाते है इसी स्थिति के चलते काफी संख्या में बच्चे स्कूल भी नही जा पाते है। माध्यमिक शाला में पदस्थ शिक्षकों को भी स्कूल तक पहुंचने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड रहा है और सभी परेशान है।

निर्माण के लिए एक करोड़ स्वीकृत, फिर भी अटका सडक़ का निर्माण कार्य

ग्राम क्षेत्र में सडक़ निर्माण को लेकर ग्रामीणों द्वारा लंबे समय से मांग की जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीणों की मांग और समस्या की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय विधायक की अनुशंसा पर राज्य वित्त आयोग से ०१ करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी। इसके बाद ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग को निर्माण एजेंसी नियुक्त कर सडक़ निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई। विभाग द्वारा प्रारंभिक रूप से ०१ किलोमीटर लंबी सडक़ का प्राक्कलन तैयार कर टेंडर प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई थी किंतु क्षेत्र के वन सीमांत में होने के कारण वन विभाग से एनओसी प्राप्त न होने से निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। इस बीच समस्या के समाधान हेतु सडक़ की लंबाई बढ़ाकर 1.4 किलोमीटर करने का प्रस्ताव तैयार किया गया जिसके लिए प्रमुख अभियंता स्तर से स्वीकृति आवश्यक है। अब विभाग द्वारा फाइल प्रमुख अभियंता को स्वीकृति हेतु भेजी गई है जिसके इंतजार में सडक़ निर्माण कार्य स्वीकृति के बावजूद अटका हुआ है। निर्माण में देरी से ग्रामीणों व बच्चों को आवागमन में लगातार परेशानियाँ झेलनी पड़ रही हैं।

इनका कहना है

सडक़ का निर्माण कार्य स्वीकृत है टेन्डर भी हो चुका है लंबाई ०१ किलोमीटर से बढक़र १.४ किलोमीटर हो जाने की वजह से प्रमुख अभियंता की स्वीकृति आवश्यक होने की वजह से स्वीकृति हेतु प्रस्ताव भेजा है जो कि जल्द ही प्राप्त हो जायेगी। स्वीकृति प्राप्त होते ही निर्माण कार्य प्रारंभ कर जल्द से जल्द सडक़ का कार्य पूरा किया जायेगा और गांव के लोगो की समस्या हल हो जायेगी।

धीरज चौधरी,

अनुविभागीय अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा पन्ना

Created On :   8 Nov 2025 3:03 PM IST

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