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Panna News: एसएनसीयू में मिला जुड़वा बच्चियों को जन्म, समय पूर्व जन्म, बेहद कम वजन फिर मिली जीत

Panna News: पन्ना जिले के विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई एसएनसीयू में उपचाररत दो जुड़वा बच्चियों को बेहतर उपचार और देखभाल से नया जीवन मिल गया। 19 अक्टूबर 2025 को अजयगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जन्मीं इन बच्चियों का वजन क्रमश: 720 ग्राम और 930 ग्राम था और गर्भावस्था की अवधि मात्र 28 सप्ताह थी। सामान्य शिशु का वजन 2500 ग्राम या उससे अधिक तथा गर्भकाल 37 सप्ताह होता है जिससे यह मामला चिकित्सकीय रूप से अत्यंत चुनौतीपूर्ण था। एसएनसीयू प्रभारी एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेन्द्र चतुर्वेदी, डॉ. जितेन्द्र खरे, डॉ. रमेशचंद्र केसरी, नर्स इंचार्ज नीता पटले सहित पूरी टीम ने नियमानुसार उपचार करते हुए दिन-रात सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ी। चित्रकूट की नेत्र विशेषज्ञ टीम द्वारा समय-समय पर परीक्षण किया गया। एक शिशु की आंखों में आई मामूली समस्या का तुरंत उपचार किया गया जबकि दूसरी की आंखें पूरी तरह स्वस्थ रहीं।
मां के दूध ने बढ़ाई जीवन की संभावना
शिशुओं को प्रारंभ में नली के माध्यम से मां का दूध दिया गया। धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाते हुए कटोरी-चम्मच से पिलाना शुरू किया गया। परिजनों को शिशु की देखभाल और स्तनपान का प्रशिक्षण दिया गया। एक माह की निरंतर निगरानी और सुधार के बाद दोनों बच्चियां घर जाने लायक हुईं। डिस्चार्ज के समय पहला शिशु 913 ग्राम और दूसरा 1.2 किलोग्राम का हो चुका था।
मातृ सहयोग बना जीवनदान की कुंजी
एसएनसीयू के प्रभारी डॉ. योगेन्द्र चतुर्वेदी के अनुसार सामाजिक, आर्थिक कारणों से पन्ना जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर राज्य के अन्य जिलों से अधिक है। इसके बावजूद इस मामले में परिवार ने लिंगभेद की मानसिकता को दरकिनार कर पूर्ण सहयोग दिया। मां को तनावमुक्त वातावरण पर्याप्त पोषण और नींद मिली। उन्होंने कंगारू मदर केयर को नियमित रूप से अपनाया जिससे पर्याप्त मां का दूध उपलब्ध हुआ और कृत्रिम दूध की जरूरत नहीं पड़ी।
संक्रमण मुक्त उपचार बना मिसाल
प्रसव पूर्व डेक्सामेथासोन इंजेक्शन के उपयोग से शिशुओं को रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम जैसी गंभीर बीमारी से बचाव मिला। एसएनसीयू में संक्रमण रोकथाम के सभी दिशा-निर्देशों का पालन हुआ जिसके चलते शिशुओं को एंटीबायोटिक की आवश्यकता नहीं पड़ी। साथ ही कैफीन इंजेक्शन का प्रोटोकॉल के अनुसार प्रयोग किया गया जिससे दोनों बच्चियां एपनिया जैसी समस्या से सुरक्षित रहीं। पन्ना जिला अस्पताल के एसएनसीयू में चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों के भागीरथी प्रयासों की सफलता से यह साबित हुआ है कि यदि चिकित्सीय अनुशासन मातृ सहयोग और सकारात्मक सोच साथ हों तो जीवन किसी भी कठिन परिस्थिति पर विजय पा सकता है। कम संसाधनों वाले जिले में एसएनसीयू टीम का यह प्रयास न केवल प्रेरणादायक है बल्कि पूरे प्रदेश के लिए मॉडल बन सकता है।
Created On :   24 Nov 2025 5:43 PM IST














