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Pune News: अटक किले पर झंडा फहराने वाले सूबेदार तुकोजीराव होलकर की समाधि को संरक्षित करेगी सरकार
- राज्य संरक्षित स्मारक का दर्जा देने का फैसला
- मुला नदी के तट पर है होलकर छत्री नाम का एक ऐतिहासिक स्मारक
- होलकर राजवंश के सूबेदार तुकोजीराव होलकर की समाधि और दो अन्य स्मारक है
Pune News लक्ष्मण खोत . वर्तमान पाकिस्तान में स्थित अटक किले पर मराठा साम्राज्य का झंडा बुलंद करने वाले सूबेदार तुकोजीराव होलकर की पुणे स्थित समाधि स्थल को आखिरकार न्याय मिल गया है। शहर के खडकी कैन्टोंन्मेंट बोर्ड की सीमा में मुला नदी के तट पर होलकर छत्री नाम का एक ऐतिहासिक स्मारक है। होलकर छत्री में मराठा साम्राज्य के होलकर राजवंश के सूबेदार तुकोजीराव होलकर की समाधि और दो अन्य स्मारक है। मराठा साम्राज्य में बहुत बड़ा योगदान देनेवाले तुकोजीराव होलकर की समाधि का स्मारक देश की आजादी के 75 साल के बाद भी उपेक्षित था। इसे लेकर पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर के वशंज भूषणसिंह राजे होलकर ने हाल ही में आवाज उठाई थी। इस बीच राज्य में सरकार बनते ही होलकर छत्री को राज्य संरक्षित स्मारक का दर्जा देने का निर्णय लिया गया। इस संबंध में सरकार का निर्णय पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के विभाग द्वारा प्रकाशित किया गया है।
छत्रपती शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित किए गए मराठा साम्राज्य ने 18 वीं शताब्दी में वर्तमान पाकिस्तान के अटक किले तक जाकर मराठा साम्राज्य का झंडा फहराया था। इस घटना को मराठा साम्राज्य की बहादुरी के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इसके कारण महाराष्ट्र में ‘अटकेपार झेंडा फडकाया’ ऐसी कहावत लोकप्रिय है। जिनके नेतृत्व में यह बहादुरी का काम किया गया, उस सूबेदार तुकोजीराव होलकर की पुणे शहर की खडकी कैन्टोंन्मेंट बोर्ड की सीमा में मुला नदी के तट पर समाधि है। होलकर पुल के पास स्थित इस स्थान को होलकर छत्री के नाम से जाना जाता है। होलकर छत्री की जगह पर तुकोजीराव होलकर की समाधि के साथ उनके बेटे विठोजीराव होलकर और मल्हारराव होलकर के दो दुर्लक्षित स्मारक है।
स्मारक को लेकर थी नहीं थी स्पष्टता : हालांकि पिछले कई वर्षों से समाधि और स्मारक को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी। कुछ दिन पहले राज्य पुरातत्व विभाग ने भी बिना किसी दस्तावेज की जांच किए होलकर छत्री के बारे में गलत जानकारी प्रसारित की थी। इसके कारण पुरातत्व विभाग के खिलाफ होलकर परिवार के वशंज भूषणसिंह राजे होलकर के नेतृत्व में एक आंदोलन भी किया गया था। उस दौरान इतिहास के विद्वान समीर निकम ने होलकर छत्री के बारे में ऐतिहासिक साक्ष्य सामने रखे। समीर निकम ने सेना के संपत्ति विभाग में होलकर छत्री संबंधी दस्तावेज, पुणे महापालिका के विरासत विभाग का राजपत्र, पिछली कई तस्वीरें, नक्शे राज्य पुरातत्व विभाग के सहायक निदेशक के कार्यालय को सौंपे थे। इस अवसर पर उन्होंने होलकर छत्री स्मारक के संरक्षण औऱ संवर्धन की मांग की व आंदोलन भी किया था।
राज्य सरकार को भेजा प्रस्ताव : आंदोलन के बाद जागे पुरातत्व विभाग ने होलकर छत्री की माप का दस्तावेजीकरण किया और राज्य सरकार को होलकर छत्री क्षेत्र की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक प्रस्ताव भेजा। इसे लेकर भूषणसिंह राजे होलकर ने तत्कालिन सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार से मुलाकात भी की थी। उस समय मंत्री मुनगंटीवार ने इस संबंध में तत्काल निर्णय लेने का वादा किया था। हालांकि इसके बाद विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई इसलिए इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका था।
सूबेदार तुकोजीराव होलकर की समाधि वाली होलकर छत्री स्मारक पिछले कई वर्षों से उपेक्षित थी। अब राज्य सरकार ने इसे राज्य संरक्षित स्मारक का दर्जा दिया है। हालांकि स्मारक के संरक्षण के लिए अभी तक किसी फंड की घोषणा नहीं की गई है। नवनिर्वाचित मंत्रियों को अभी विभाग आवंटित नहीं किये गये हैं। विभाग आवंटन के बाद संबंधित मंत्रियों से होलकर छत्री स्मारक के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये स्वीकृत करने का अनुरोध किया जाएगा। -भूषणसिंह राजे होलकर, अहिल्याबाई होलकर के वशंज
Created On :   18 Dec 2024 12:26 PM IST


















