वर्धा: नगर परिषद ने कचरे से किया 70 हजार 200 टन जैविक खाद का निर्माण, खास है प्रक्रिया

नगर परिषद ने कचरे से किया 70 हजार 200 टन जैविक खाद का निर्माण, खास है प्रक्रिया
  • कचरे से खाद बनाने का प्रयोग
  • 6 वर्ष पूर्व शुरू किया गया

डिजिटल डेस्क, वर्धा. नगर परिषद अंतर्गत कचरे से खाद बनाने का प्रयोग गत 6 वर्ष पूर्व शुरू किया गया। शुरुआत में इस प्रकल्प में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अंतत: हरित महासिटी कंपोस्ट ब्रांड की खाद को मान्यता मिली। इससे अब नप द्वारा बड़े पैमाने पर खाद का निर्माण किया जा रहा है। गत छह वर्ष में 70 हजार 200 टन खाद का निर्माण कचरे से किया गया है। इसमें से लगभग 40 हजार 220 टन खाद की बिक्री तक की जा चुकी है। बता दें कि, वर्धा नगर परिषद अंतर्गत 19 प्रभाग आते हैं। जहां प्रतिदिन 19 घंटागाड़ी व 5 ट्रैक्टर के माध्यम से कचरा संकलन का कार्य होता है। नप अंतर्गत प्रतिदिन लगभग 30 टन कचरा संकलित होता है। इसमें गीला कचरा 14 टन तथा सूखा कचरा 16 टन जमा किया जाता है।

वर्धा नगर परिषद का इंझापुर में डम्पिंग यार्ड है। जहां पर स्वच्छ महाराष्ट्र अभियान नागरी के तहत शहर में घनकचरा व्यवस्थापन किया जाता है। शहर में निर्मत विघटनशील कचरे पर प्रक्रिया कर जैविक खाद तैयार करने का आदेश 2017 में सरकार द्वारा दिया गया था। इस जैविक खाद की मार्केटिंग व बिक्री करने हरित महासिटी कंपोस्ट ब्रांड को मान्यता दी जाती है। वर्ष 2018 में नगर परिषद ने जैविक खाद निर्माण का प्रोजेक्ट इंझापुर में शुरू किया। हालांकि 6 साल में नगर परिषद ने 70 हजार 200 टन खाद का निर्माण किया। इसमें फिर से वैज्ञानिक प्रक्रिया करने पर उसे हरित महासिटी कंपोस्ट ब्रांड के तौर पर मान्यता मिली। इसमें से लगभग 40 हजार 220 टन खाद नगर परिषद द्वारा बेची गई है।

71 कर्मचारी कचरे से बनाते हैं खाद

इंझापुर में कचरे से खाद निर्माण प्रोजेक्ट में फिलहाल 71 कर्मचारी कार्यरत हैं। इस काम का ठेका नागपुर स्थित स्विच गियर प्रायवेट लिमिटेड को दिया गया है। खाद बनाने में लगभग 15 दिन का समय लगता है। गीले व सूखे कचरे पर प्रोसेजिंग कर खाद बनाई जाती है।

वैज्ञानिक पद्धति से होती है प्रक्रिया

विशाल सोमवंशी, स्वच्छता निरीक्षक, नप के मुताबिक वर्ष 2018 में नप अंतर्गत इंझापुर में कचरे से खाद निर्माण का प्रोजेक्ट शुरू हुआ। शुरुआत में प्रोसेसिंग के बाद किसी न किसी बात को लेकर बनाया गया खाद रिजेक्ट होता था। जिससे स्भ्ख लेते हुए वैज्ञानिक की राय लेकर वैज्ञानिक पद्धति से खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसमें हम सफल रहे। अब इस खाद की बिक्री भी हो रही है। लगभग 40 हजार 220 टन खाद की बिक्री की गई है।

कम दाम में हो रही बिक्री

कचरे से निर्मिति जैविक खाद की बिक्री मात्र 8 रुपए प्रति किलो दर से होती है। इससे किसानों के साथ-साथ नर्सरी, उद्यान के लिए भी खाद जमकर खरीदा जा रहा है। शहर में निर्मित उद्यान व विभिन्न जगहों पर लगे पेड़ों को भी यहीं खाद दी जाती है।


Created On :   13 Feb 2024 1:17 PM GMT

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