आषाढ़ अमावस्या: जानें इस दिन का महत्व और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में आषाढ़ अमावस्या का विशेष महत्व है, जो कि हर माह के कृष्ण पक्ष का आखिरी दिन कहलाता है। इस बार अमावस्या 18 जून रविवार को पड़ रही है। आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की इस अमावस्या को हलहारिणी और बड़ी स्नान दान अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन नदी स्नान और तीर्थक्षेत्र में स्नान-दान का विशेष महत्व है। इस दिन जातक को यथा शक्ति दान करना चाहिए एवं योग्य दुखी पात्र की अपने हाथों से सेवा करनी चाहिए। ऐसा करने से सभी मनोरथ संपन्न होते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और पितरों का तर्पण भी किया जाता है। इस तिथि में पितृ पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस तिथि पर पूर्वज आसपास ही होते हैं। इसलिए आषाढ़ अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध करना उत्तम माना गया है। आइए जानते हैं इस तिथि के बारे में...
शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 17 जून शनिवार सुबह 9 बजकर 13 मिनट से
तिथि समापन: 18 जून रविवार सुबह 10 बजकर 8 मिनट तक
करें ये काम
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और नित्यक्रम से निवृत्त होकर स्नान करें।
- संभव हो तो स्नान किसी नदी या सरोवर पर स्नान करें।
- इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करें।
- इसके बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण करें।
- इसके बाद भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी की ग्यारहा परिक्रमा करें।
- याद रखें प्रत्येक परिक्रमा में कोई वस्तु चढ़ायें।
- इसके पश्चात वे सभी वस्तुएं किसी योग्य पात्र को दान करें।
- दिनभर भगवान शंकर के मंत्रों का मानसिक जाप करें।
- शाम के समय सरसों के तेल का दीपक पीपल के वृक्ष पर जलाकर व्रत संपन्न करें।
- अमावस्या तिथि पर भगवान विष्णु की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   17 Jun 2023 6:45 PM IST