Dusra Mangala Gauri Vrat: सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत, जानिए मुहूर्त और पूजा की विधि

- सावन में मंगलवार का दिन माता पार्वती की आराधना के लिए खास है
- इस व्रत को विशेष रूप से कन्याएं और सुहागिन महिलाएं करती हैं
- कन्याओं को योग्य वर मिलता है, महिलाओं को सुखमय वैवाहिक जीवन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सावन माह में जहां सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित हैं, वहीं मंगलवार का दिन माता पार्वती की आराधना के लिए खास है। 22 जुलाई को श्रावण मास का दूसरा मंगला गौरी व्रत है। इस व्रत को विशेष रूप से कन्याएं और सुहागिन महिलाएं करती हैं, जिससे उन्हें मां गौरी की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि, इस व्रत से कन्याओं को जहां देवी की कृपा से योग्य वर मिलता है, वहीं महिलाओं को सुखमय वैवाहिक जीवन प्राप्त होता है।
इसके अलावा यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, सुखी वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। यह वैवाहिक जीवन में सुख, शांति, प्रेम और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। आइए जानते हैं मुहूर्त और पूजा विधि...
दूसरा मंगला गौरी व्रत मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 14 मिनट से लेकर 04:56 तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:55 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:44 से दोपहर 03:39 तक
पूजा विधि
- पूजा के दौरान सबसे पहले एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर कलश स्थापना करें।
- इसमें आम के पत्ते और नारियल रखें।
- इसके बाद मां गौरी की स्थापना करें।
- माता को हल्दी, कुमकुम, चूड़ी, बिंदी, वस्त्र और सुहाग की सामग्री चढ़ाएं।
- इसके बाद निम्न मंत्र के साथ व्रत का संकल्प लें और घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद में मां गौरी की व्रत कथा सुनें, साथ ही मां की आरती करें और "ऊँ गौरी त्रिपुरसुंदरी नमः" मंत्र का जाप करें।
- पूजन के बाद माता को 16 प्रकार की वस्तुएं चढ़ाएं।
- 5 प्रकार के सूखे मेवे और 7 प्रकार के अनाज-धान्य चढ़ाएं।
- पूजन के बाद आरती का आचमन करें और आसन को प्रणाम करके पूजा स्थल से उठें।
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Created On :   21 July 2025 6:35 PM IST