Mangala Gauri Vrat 2025: इस व्रत को करने से मिलता है मनचाहा वर, जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

- सावन का प्रत्येक मंगलवार का दिन माता गौरी को समर्पित है
- सुहागिन महिलाएं सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए व्रत करती हैं
- अविवाहित कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सावन का महीना चल रहा है और हिन्दू धर्म में इस माह के हर एक दिन को खास माना जाता है। लेकिन, सप्ताह के पहले और दूसरे दिन सबसे अहम हैं। सोमवार का दिन जहां महादेव का समर्पित है, वहीं मंगलवार का दिन माता गौरी यानि कि पार्वती जी को। सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) रखा जाता है।
इस व्रत को खास तौर पर सुहागिन महिलाएं मां गौरी की कृपा पाने के लिए करती हैं ताकि उन्हें सुखमय वैवाहिक जीवन प्राप्त हो। वहीं अविवाहित कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। दृक पंचांग में इसके नियम से लेकर शुभ मुहूर्त का उल्लेख है। इस साल पहला मंगला गौरी व्रत 15 जुलाई को है। आइए जानते हैं मुहूर्त और पूजा की विधि...
मंगला गौरी शुभ मुहूर्त
पहले मंगला गौरी व्रत पर पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए अभिजीत मुहूर्त 15 जुलाई 2025 की सुबी 11 बजककर 59 से आरंभ होगा। वहीं इस मुहूर्त का समापन दोपहर 12 बजकर 55 पर होगा। इसके अलावा आप पूरे दिन पूजन- पाठ और भजन- कीर्तन कर सकते हैं। हालांकि, इस दिन राहुकाल शाम के 03 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 05 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें।
- एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर कलश स्थापना करें।
- इसमें आम के पत्ते और नारियल रखें।
- इसके बाद मां गौरी की स्थापना करें।
- उन्हें हल्दी, कुमकुम, चूड़ी, बिंदी, वस्त्र और सुहाग की सामग्री चढ़ाएं।
- माता को सूखे मेवे और 7 प्रकार के अनाज-धान्य चढ़ाएं।।
- अब "ऊँ गौरी त्रिपुरसुंदरी नमः" मंत्र का जाप करें।
- घी का दीपक जलाएं और मां गौरी की व्रत कथा सुनें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   14 July 2025 6:26 PM IST