Sawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्रि पर इस विधि से करें पूजा, जानिए पूजा सामग्री और चार पहर की पूजा का समय

- यह महीना भगवान शिव का प्रिय महीना है
- सावन में कांवड़ यात्राएं निकाली जाती हैं
- पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण किया जाता है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। महादेव की आराधना का सबसे उत्तम समय कहा जाने वाला सावन माह चल रहा है। यह महीना भगवान शिव का प्रिय महीना है और इसलिए सावन में कांवड़ यात्राएं निकाली जाती हैं। पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण कर पूजा की जाती है, साथ ही रात जागरण कर भजन- कीर्तन भी इस महीने में किया जाता है। इस महीने में सोमवार के दिन का महत्व बताया गया है, लेकिन इसी महीने की शिवरात्रि भी अपने आप में खास है। इसे सावन शिवरात्रि भी कहा जाता है।
बता दें कि, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि (Masik Shivaratri) के रूप में मनाया जाता है। शिवरात्रि पर निशिता काल और चार पहर की पूजा का विशेष महत्व होता है। वहीं सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) 23 जुलाई 2025, बुधवार को पड़ रही है। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
सावन शिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रथम पहर पूजा का समय: 23 जुलाई की शाम 7 बजकर 26 मिनट से रात 10 बजकर 6 मिनट तक
दूसरे पहर पूजा का समय: 23 जुलाई की रात 10 बजकर 6 मिनट से 24 जुलाई की रात 12 बजकर 46 मिनट तक
तीसरे पहर पूजा का समय: 24 जुलाई की रात 12 बजकर 46 मिनट से लेकर सुबह 3 बजकर 27 मिनट तक
चौथे पहर पूजा का समय: 24 जुलाई की सुबह 3 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 7 मिनट तक
निशिता काल का समय: 24 जुलाई की रात 12 बजकर 25 मिनट से लेकर 1 बजकर 08 मिनट तक
पूजा सामग्री
गंगा जल, शहद, दही, घी, पंच रस, बेलपत्र, धतुरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ का बालें, गाय का दूध, ईख का रस, चंदन, फूल, पंच फल, पंच मेवा, इत्र, गंध, रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान, कपूर, धून और दीपक। साथ ही माता पार्वती की पूजा के लिए चूड़ी, बिंदी, चुनरी, सिंदूर जैसी श्रृंगार की वस्तुएं पूजा की थाली में रखें।
पूजा विधि
- सावन शिवरात्रि के दिन महादेव शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी एवं शिवगणों की पूजा करें।
- शिव जी की पूजा में सबसे पहले भगवान शिव का अभिषेक करें।
- अभिषेक जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रस आदि से करें।
- अभिषेक करने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दुर्बा आदि चढ़ाएं
- अंत में गांजा,भांग, धतूरा तथा श्री फल(नारियल) शिव जी को भोग के रुप में समर्पित करें।
- पूरा दिन निराहार रहकर इनके व्रत का पालन करें।
- रात्रि के समय शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   22 July 2025 5:40 PM IST