इन 10 मंदिरों में विधि-विधान से पूजा जाता है 'रावण', करते हैं तेरहवीं

By - Bhaskar Hindi |29 Sept 2017 3:58 PM IST
इन 10 मंदिरों में विधि-विधान से पूजा जाता है 'रावण', करते हैं तेरहवीं
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सत्य पर असत्य की जीत के उपलक्ष्य में नवरात्रि के बाद दसवें दिन विजयादशमी मनाई जाती है। इस दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला दहन किया जाता है। तीनों को बुराई का प्रतीक माना जाता है, लेकिन कुछ ऐसे भी स्थान हैं जहां रावण की पूजा की जाती है। आज हम आपको ऐसे स्थानों की ओर लेकर जा रहे हैं...
- उत्तर प्रदेश के जसवंतनगर में दशहरे के अवसर पर रावण की आरती उतारी जाती है। फिर उसकी विधि-विधान से पूजा होती है। फिर वही लोग उसकी जमकर धुलाई करते हैं। मार-मारकर उसके टुकड़े कर देते हैं। इसके बाद उनका टुकड़ों को घर ले जाया जाता है। जिसके ठीक 13 दिनों में रावण की तेरहवीं की जाती जाती है। इसे महाज्ञानी मानकर पूूजा जाता है, किंतु बुराई के अंत के तौर पर टुकड़े कर दिए जाते हैं।
- मध्यप्रदेश के मंदासौर जिले को रावण की ससुराल कहा जाता है। कहते हैं कि मंदोदरी का मायका यहीं था। इस रिश्ते से रावण को दामाद माना जाता है। जिस वजह से महिलाएं रावण की मूर्ति के सामने से सिर ढककर ही निकलती हैं। यहां रावण की एक विशाल मूर्ति भी है। जिसकी पूजा की जाती है। मंदसौर में रावण का जुलूस निकाला जाता है, लेकिन दहन नहीं किया जाता।
- ठीक ऐसा ही एक और स्थान मध्यप्रदेश में ही है। उज्जैन जिले के चिखली गांव में भी रावण का दहन नहीं किया जाता। इस स्थान पर इस परंपरा के चलते कहा जाता है कि यदि रावण की पूजा नही की गई तो पूरा गांव जलकर राख हो जाएगा।
- महाराष्ट्र में अमरावती के गढ़चिरौली नामक स्थान पर आदिवासी समुदाय रावण और उसके पुत्रों को अपना देवता मानता है। कहा जाता है। जिसकी वजह से यहां धूमधाम से रावण की पूजा होती है। उसका दहन नहीं किया जाता।
- उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव को रावण का ननिहाल माना जाता है। कहते हैं कि कभी रावण का यहां आगमन हुआ था। यहां रावण का मंदिर बना हुआ और उसका पूजन होता है। बिसरख का नाम पहले विश्वेशरा था जो रावण के पिता के नाम पर पड़ा था।
- हिमाचल प्रदेश कांगड़ा जिले के बैजनाथ कस्बे में भी रावण का पूजन होता है। ऐसी मान्यता है कि रावण ने यहां पर भगवान शंकर का कठिन तप किया था। वह शिव का अनन्य भक्त और उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे मोक्ष का वरदान दिया था।
- आंध्रप्रदेश के काकिनाड में भगवान शिव के साथ ही रावण की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के साथ रावण की कृृपा भी उन सब पर बनी रहेगी।
- राजस्थान के जोधपुर में भी एक विशेष समाज के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये लोग रावण के ही कुल के हैं। जिसकी वजह से यहां रावण का मंदिर है और उसकी पूजा होती है।
- कर्नाटक के मंडया जिले के मालवल्ली तालुका नामक स्थान पर रावण को महान शिवभक्त माना जाता है। यहां उसका मंदिर बना है। लोग उसकी पूजा करते हैं और मनौती मांगते हैं।
- ठीक इसी प्रकार दक्षिण भारत में कुछ स्थानों पर रावण को महाज्ञानी, महापंडित मानकर पूजते हैं। इसे रावण दहन नहीं बुराई का दहन माना जाता है।

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Created On :   28 Sept 2017 5:39 PM IST
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