भाद्रपद मास 2018: क्या है भाद्रपद मास का महात्म्य एवं कथा 

Bhadrapada Month 2018: Know the Bhadrapada Month 2018 and its story
भाद्रपद मास 2018: क्या है भाद्रपद मास का महात्म्य एवं कथा 
भाद्रपद मास 2018: क्या है भाद्रपद मास का महात्म्य एवं कथा 

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भाद्रपद मास (भादौं) हम को सिखाता है कर्म और बुद्धि का संतुलन कैसे करें। भाद्रपद मास भगवान शिव को समर्पित सावन माह के बाद आता है यह हिन्दू पंचांग का छठा महीना है जिसे भादौं भी कहते हैं। इस बार यह महीना 27 अगस्त 2018 से शुरू हो गया है। भाद्रपद माह सावन की तरह ही धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण मना जाता है। भाद्रपद मास में हिन्दू धर्म के कई बड़े व्रत, पर्व, त्यौहार पड़ते हैं। इस माह में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हरतालिका तीज, गणेशोत्सव, ऋषि पंचमी आदि प्रमुख व्रत हैं।

भाद्रपद मास में पड़ने वाले उत्सवों ने सदियों से भारतीय धर्म परम्पराओं और लोक संस्कृति का विस्तार किया है। हिन्दू धर्म की परम्पराओं में इस माह में जहां कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कर्म का संदेश देने वाले भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है, और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को प्रथम पूज्य देवता श्रीगणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस प्रकार भाद्रपद मास कर्म और बुद्धि के समन्वय और उपासना से जीवन में जटिल कार्यों में सफलता पाने का मार्ग दिखलाता है। भाद्रपद मास, चातुर्मास के चार पवित्र महीनों का दूसरा महिना है, जो धार्मिक तथा व्यावहारिक दृष्टि से जीवनशैली में संयम और अनुशासन को अपनाना और मानना दर्शाता है।

इस मास में अनेक लोक व्यवहार के कार्य के निषेध होने के कारण यह माह शून्य मास भी कहलाता है। इस मास में नूतन ग्रह (नये घर) का निर्माण, विवाह, सगाई आदि मांगलिक कार्य शुभ नहीं माने जाते, इसलिए इस माह को भक्ति, स्नान-दान के लिए उत्तम समय माना गया है। अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से भादौं मास में दही का सेवन नहीं करना चाहिए। इस माह में स्नान, दान तथा व्रत करने से जन्म-जन्मान्तर के पाप को नष्ट किया जा सकता है।

Created On :   25 Aug 2018 10:33 AM GMT

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